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________________ परिभाषा-पाठ के प्रवक्ता और व्याख्याता ३२७ उदयंकर ने पाणिनीय अष्टाध्यायी पर भी मितवृत्त्यर्थ-संग्रह ग्रन्थ . लिखा है। जम्मू के पुस्तकालय में उदयन विरचित मितवृत्त्यर्थ-संग्रह नामक एक ग्रन्थ विद्यमान है । वह भी अष्टाध्यायी की व्याख्या रूप है।' उसके प्रारम्भ में लिखा है 'मुनित्रयमतं ज्ञात्वा वृत्तीरालोक्य यत्नतः। करोत्युदयनः साधु मितवृत्त्यर्थसंग्रहम् ।।' यहां दोनों ग्रन्थों के नाम समान हैं, परन्तु ग्रन्थकार के नामों में कुछ समानता होते हुए भी वैषम्य है । हमारा विचार है कि समान नामवाली पाणिनीय सूत्रवृत्ति के कर्ता ये दोनों भिन्न-भिन्न ग्रन्थकार १० हैं । परिभाषावृत्तियों में भी परिभाषाभास्कर एक ऐसा नाम मिलता है, जिसके कर्ता विभिन्न व्यक्ति हैं । हरिभास्कर अग्निहोत्री विरचित परिभाषाभास्कर का पहले वर्णन कर चुके हैं । शेषाद्रि विरचित का आगे उल्लेख करेंगे। एक उदयङ्कर पाठक ने लगभग सं० १८५० वि० में लघुशब्देन्दु- १५ शेखर की टीका लिखी थी। यदि यही उदयङ्कर पाठक उदयङ्कर भट्ट हो, तो इसका काल नागेश से परवर्ती होगा। इससे अधिक इस वृत्ति के विषय में हमें कुछ ज्ञात नहीं है । उपरिनिर्दिष्ट परिभाषा-वृत्तियां प्रायः सीरदेवीय परिभाषापाठ . के सदृश अष्टाध्यायी क्रम से संगृहीत परिभाषापाठ पर लिखी गई २० हैं । यह इनके अन्तिम पाठों से प्राय: व्यक्त है। अब हम उन परिभाषावृत्तियों का वर्णन करते हैं। जो परिभाषा के पूर्व निर्दिष्ट पञ्चम पाठ पर लिखी गई हैं-- १६. नागेशभट्ट (सं० १७३०-१८१० वि०) नागेश भट्ट विरचित परिभाषेन्दुशेखर ग्रन्थ सर्वत्र प्रसिद्ध है। २५ १. इसके लिए देखिए—इसी ग्रन्थ का प्रथम भाग, पृष्ठ ५४८ (च० सं०)। २. जम्मू सूचीपत्र, पृष्ठ २६१ । ।
SR No.002283
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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