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परिभाषा-पाठ के प्रवक्ता और व्याख्याता ३२५ प्रापाजिभट्ट काशी निवासी थे। काशीनाथ अभ्यङ्कर ने हरिभास्कर अग्निहोत्री का काल सन् १६७७ के लगभग माना है। ___ हरिभास्कर के एक अज्ञातनामा शिष्य ने लघुपरिभाषावृत्ति लिखी है। ___ इससे अधिक हम इस ग्रन्थकार के विषय में कुछ नहीं जानते। ५ हरिभास्कर कृत परिभाषाभास्कर पूना से प्रकाशित परिभाषासंग्रह में छप चुका है।
१२. हरिभास्कर अग्निहोत्री का शिष्य हरिभास्कर अग्निहोत्री के किसी अज्ञातनाम शिष्य ने लघुपरिभाषावृत्ति नाम्नी वृत्ति लिखी है । इस ग्रन्थकार का नाम अज्ञात है। १० इसका एक हस्तलेख लन्दन के इण्डिया आफिस के पुस्तकालय में विद्यमान है । (द्र०-सूचीपत्र भाग १, खण्ड २, संख्या ६७३) । सम्भवतः इसी वृत्ति का एक हस्तलेख भण्डारकर प्राच्यविद्या शोधप्रतिष्ठान पूना के संग्रह में है । द्र० सूचीपत्र व्याकरणशास्त्रीय (सन् १९३८) संख्या ३०४, पृष्ठ २३७ । हस्तलेख के अन्त में निम्न १५ लेख है
'इति भास्करभट्टाग्निहोत्रिकुलतिलकायमानान्तेवासिना निर्मिता लघुपरिभाषावृत्तिरगाच्चरमवर्णध्वंसम् ।' इससे अधिक हम इसके विषय में कुछ नहीं जानते।
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१३. धर्मसूरि धर्मसूरि ने परिभाषीर्थप्रकाशिका नाम से परिभाषा पाठ की एक व्याख्या लिखी है । इसका एक हस्तलेख अडियार के ग्रन्थसंग्रह में विद्यमान है । द्र० सूचीपत्र, व्याकरण विभाग, ग्रन्यांक ४८१ ।
इस वृत्ति के अन्त में निम्न पाठ उपलब्ध होता है'इति पन्विल्लान्वयवायदुग्धपायोनिधिशरत्प्रकाशनिषिशाब्दिक- २५ चक्रवतिपद्मनाभंतनयेन धर्मसूरिणा विरचिता परिभाषार्थप्रकाशिका समीप्ता।