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परिभाषा - पाठ के प्रवक्ता और व्याख्याता
'अप्पयदीक्षितवरान्वयसंभवेन स्वात्मावबोधफलमात्रकृतश्रमेण । पाभिधेन मखिना रचिता समीयात् ...।'
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इससे केवल इतना ही विदित होता है कि अप्पा दीक्षित का जन्म अप्पयदीक्षित के वंश में हुआ था ।
अप्पा दीक्षित ने सूत्रप्रकाश तथा पाणिनि सूत्रप्रकाश नाम से sarat की एक वृत्ति लिखी है । उसमें दिये गये परिचय के अनुसार पिता का नाम धर्मराज वेङ्कटेश्वर और पितामह का नाम वेंकट सुब्रह्मण्य लिखा है । शाब्दिक - चिन्तामणि का लेखक गोपाल कृष्ण शास्त्री इसका गुरु है । गोपाल कृष्ण शास्त्री कृत शाब्दिक - चिन्तामणि का उल्लेख प्रथम भाग में पृष्ठ ४४४ ( च० सं०) पर कर चुके हैं ।
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दोनों व्याख्याकारों के विषय में हम इससे अधिक कुछ नहीं जानते ।
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एक प्रापाजी 'परिभाषाभास्कर' के लेखक भास्कर अथवा हरि - १५ भास्कर के पिता हैं । यह काश्यपगोत्रीय हैं । अप्पय दीक्षित भारद्वाज - गोत्रीय थे । अतः यह आपाजी सारबोधिनी का लेखक नहीं हो सकता । दूसरे श्रप्पा सुधी हैं। इन्होंने परिभाषारत्न नाम्नी परिभाषावृत्ति की रचना को थो। ये भी अन्य व्यक्ति प्रतीत होते हैं । इन दोनों परिभाषावृत्तियों का वर्णन अनुपद ही किया जाएगा।
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११. हरि भास्कर अग्निहोत्री
भास्कर अपरनाम हरिभास्कर अग्निहोत्री ने परिभाषापाठ पर परिभाषाभास्कर नाम्नी एक व्याख्या लिखो है । इसके दो हस्तलेख मद्रास राजकीय पुस्तकालय में विद्यमान हैं। जम्मू के रघुनाथ मन्दिर के पुस्तकालय में भी इसका एक हस्तलेख सुरक्षित है। उसके सूचीपत्र २५
१. डियार सूचीपत्र, व्याकरण विभाग, ग्रन्थ संख्या ४६४ ।
२. इस सूत्र वृत्ति का वर्णन भ्रष्टाध्यायी के वृत्तिकार, नामक अध्याय में प्रथम भाग में देखें ।