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३२० संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास सिद्धान्तकौमुदीव्याख्यानेऽनुसन्धेयः ।
पृष्ठ २६ पर-प्रस्मत्कृतपाणिनीयदीपिकायां स्पष्टम् ।'
नीलकण्ठ-विरचित इन ग्रन्थों का यथास्थान निर्देश हम प्रथम भाग में कर चुके हैं।
९. भीम भीम नामक वैयाकरण द्वारा लिखित पभिाषावृत्ति का एक हस्तलेख जम्मू के रधुनाथ मन्दिर के पुस्तकालय में विद्यमान है। इस वृत्ति का नाम परिभाषार्थमञ्जरी है। द्र०--जम्मू सूचीपत्र पृष्ठ ४२। ____ भीमकृत परिभाषार्थमज्जरी के तीन हस्तलेख भण्डारकर प्राच्यविद्या शोधप्रतिष्ठान पूना के संग्रह में हैं। द्र० व्याकरणविभागीय सूचीपत्र (सन् १९३८) संख्या ३१५,३१६,३१७ (पृष्ठ २४५-२४७ ।
इस के संख्या ३१५ के हस्तलेख के अन्त में पाठ है
इति श्रीमद्गलगलेकरोपनामकमाधवाचार्यतनयभीमप्रणीता परि१५ भाषार्थमञ्जरी समाप्ता । संवत् १८५२.......।
भीम के पिता का नाम माधवाचार्य था। इसका 'मद्गलगलेकर' उपनाम था । इस उपनाम से विदित होता है कि ग्रन्थकार महाराष्ट्र का निवासी था। इससे अधिक हम भीम के विषय में कुछ नहीं जानते ।
२० १०. वैद्यनाथ शास्त्री (सं० १७५० वि० के समीप)
वैद्यनाथ विरचित परिभाषार्थसंग्रह के अनेक हस्तलेख विभिन्न पुस्तकालयों में सुरक्षित हैं।
परिचय-वैद्यनाथ शास्त्री ने स्वयं परिभाषार्थ-संग्रह के अन्त में
१. परिभाषा-संग्रह (पूना) पृष्ठ ३०३ । २५ २. परिभाषा-संग्रह (पूना) पृष्ठ ३०४ ।