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परिभाषा - पाठ के प्रवक्ता और व्याख्याता
७. परिभाषावृत्तिकार
एक अज्ञातकर्तृ क परिभाषावृत्ति का हस्तलेख मद्रास के राजकीय हस्तलेख संग्रह में विद्यमान है । द्र० सूचीपत्र भाग ५, खण्ड १ए, पृष्ठ ६२७१, नं० ४२५८ ।
लेखक का नाम अज्ञात होने से इसके देश कालादि का परिज्ञान ५ भी नहीं हो सका । इस परिभाषावृत्ति में परिभाषाओं का पाठक्रम, सीरदेव की परिभाषावृत्ति के समान अष्टाध्यायी के अध्याय-क्रम के अनुसार है । अष्टमाध्याय के अन्त में अथ प्रायेण न्यायमूला परिभाषा उच्यन्ते कह कर सीरदेव के समान ही न्यायमूलक परिभाषाएं पढ़ी हैं। इससे इस परिभाषावृत्ति के पर्याप्त प्राचीन होने की संभाहै । इसीलिए हमने इसका यहां निर्देश किया है ।
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८. नीलकण्ठ वाजपेयी (सं० १६०० - १६७५ वि० )
नीलकण्ठ वाजयेयी ने परिभाषापाठ पर एक संक्षिप्त वृत्ति लिखी है । यह वृत्ति ट्रिवेण्ड्रम से प्रकाशित हो चुकी है । अब यह पूना से प्रकाशित 'परिभाषासंग्रह' में भी पृष्ठ २९३ - ३१६ तक पुनः प्रकाशित हो गई है।
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परिचय - नीलकण्ठ वाजपेयी के देश काल आदि का परिचय हम इस ग्रन्थ के प्रथम भाग पृष्ठ ४४१ - ४४२ ( च० सं० ) पर भली प्रकार दे चुके हैं । प्रत: इस संबन्ध में वहीं देखें ।
इस परिभाषावृत्ति में १३० परिभाषाओं का व्याख्यान है । उसके २० अनन्तर १० प्रक्षिप्त और निर्मूल परिभाषाओं का निर्देश हैं।
पृष्ठ १० पर- अस्मद् गुरुचरणकृत तत्त्वबोधिनी व्याख्याने गूढार्थ - दीपकाल्याने प्रपञ्चितम् ।'
पृष्ठ १६ पर - भाष्यतत्त्वविवेके प्रपञ्चितमस्माभिः ।
पृष्ठ २६ पर - विस्तरतु
वैयाकरणसिद्धान्तरहस्याख्या स्मत्कृत- २५
१. परिभाषा - संग्रह (पूना) पृष्ठ २९७ ।
२. परिभाषा-संग्रह (पूना) पृष्ठ २६६ ।