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________________ ३१८ संस्कृत व्याकरण - शास्त्र का इतिहास अन्त में इति श्रीमच्छेवकृष्णपण्डितात्मजविष्णु पण्डित विरचिते परिभाषाप्रकाशे प्रथमः पादः । ५ शेष वंश का चित्र हमने इस ग्रन्थ के प्रथम भाग के पृष्ठ ४३६ ( च०सं०) पर दिया हैं | प्रारम्भ में (तृतीय संस्करण पयन्त) हमें इस शेषवंशावतंस विष्णु पण्डित का परिचय नहीं था । अतः उसमें इसका उल्लेख नहीं किया था । शेष विष्णु ने अपना जो परिचय दिया है, तदनुसार यह विष्णु किसी कृष्ण पण्डित का पुत्र है । विष्णु ने अपने भ्राता जगन्नाथ का उल्लेख किया है । विट्ठल ने भी प्रक्रियाकौमुदी के अन्त में १४वें श्लोक में किसी जगन्नाथाश्रम को स्मरण किया है, १० यह सम्भवतः शेषविष्णु का भ्राता जगन्नाथ होगा । विट्ठल के समय संन्यस्त हो जाने से जगन्नाथाश्रम के नाम से स्मरण किया गया है । विष्णु को प्रक्रिया कौमुदी के व्याख्याता शेषकृष्ण का पुत्र मन में एक कठिनाई यह प्रतीत होती है कि उसने केवल जगन्नाथ १५ को ही क्यों स्मरण किया ? शेषकृष्ण के अन्य दो प्रसिद्ध पुत्र रामेश्वर और नागनाथ या नागोजी का उल्लेख क्यों नहीं किया ? इसी प्रकार शेष विष्णु द्वारा स्मृत चक्रपाणि क्या प्रौढमनोरमा का खण्डनकार हो सकता है ? चक्रपाणि के साथ विष्णु ने अपना कोई सम्बन्ध नहीं दर्शाया। क्या चक्रपाणि उसका गुरु हो सकता है ? इन कठिनाइयों २० के कारण हम नवीन संस्करण में भी शेष विष्णु का स्थान शेषवंश के चित्र में निर्दिष्ट नहीं कर सके । शेषविष्णु का काल स्थूलरूप में सं० १५००-१६०० के मध्य माना जा सकता है । ६. परिभाषाविवरणकार (सं० १५८४ वि० ) गोण्डल के रसशाला प्रीषवाश्रम के हस्तलेख संग्रह में परिभाषा - २५ विवरण नामक एक हस्तलेख हैं । इसका लेखनकाल सं० १५८४ वि० चैत्र सुदी एकादशी है । इस हस्तलेख के सम्बन्ध में पूर्व पुरुषोत्तमदेव को परिभाषावृत्ति के प्रसंग में (पृष्ठ ३१४) लिख चुके हैं ।
SR No.002283
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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