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२/४० परिभाषा-पाठ के प्रवक्ता और व्याख्याता ३१३ स्पष्ट हो जाता है । इस प्रकार पूर्व-निर्दिष्ट परिभाषापाठ के पांचों पाठों का संबन्ध पाणिनीय परिभाषापाठ से उपपन्न हो जाता है। ___ अब हम परिभाषापाठ के व्याख्याकारों का कालक्रम से वर्णन करते हैं
परिभाषा-पाठ के व्याख्याता
१. हरदत्त (सं० १११५ वि.) काशिकावृत्ति के व्याख्याता हरदत्त ने परिभाषापाठ पर परिभाषाप्रकरण नामक एक ग्रन्थ लिखा था । वह ६।१।३७ की व्याख्या में लिखता है--
'अनन्त्यविकारेऽन्त्यसवेशस्य नेपास्ति . परिभाषा, · प्रयोजना- १० भावात् । एतच्चास्माभिः परिभाषाप्रकरणाख्ये ग्रन्थे उपपादितम् ।' पदमञ्जरी ६।११३७; भाय २, पृष्ठ ४३७ । .: इससे अधिक इस विषय में कुछ ज्ञात नहीं है। .....
२. अज्ञातनाम (सं० १२०० वि० से पूर्व) अमरटीकासर्वस्व के रचयिता सर्वानन्द वन्द्यघटीय (सं० १२१६) १५ ने अमरकोश २।८।६८ की टीका में किसी परिभाषावृत्तिकार का निम्न पाठ उद्धृत किया है- ... ...........
'प्रकृतव्यूहाः पाणिनीयाः कृतमपि शास्त्रं निवर्तयन्ति । अत्र हि प्रकृतम्यूहा प्रगृहीतशास्त्रा इति परिभाषावृत्तिकाररुक्तम् ।' भाग ३ पृष्ठ १०६ ।
यह पाठ पुरुषोत्तमदेव की वृत्ति में उपलब्ध नहीं होता।
सर्वानन्द का काल,सं० १२१६ वि० है । अतः यह वृत्ति उससे पूर्ववर्ती होने से सं० १२०० वि० अथवा उससे पूर्व की है। ..
३. पुरुषोत्तमदेव (सं० १२०० वि०) . पुरुषोत्तमदेव ने परिभाषापाठ पर एक अनतिविस्तर वृत्ति लिखी २५