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संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास
पर घुटां तृतीयश्चतुर्थेषु ये दो कातन्त्र व्याकरण के सूत्र उद्धृत हैं । कातन्त्र में ये सूत्र क्रमश: ३।८।२८, ८ पर हैं ।
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७-
-- इसके पृष्ठ १३२ पर किसी काव्य का धमः काञ्चनस्येव राशि: वचन उद्धृत है ।'
१० २ - उणादि प्रकरण व्युत्पत्तिसार टीका
दशपादीवृत्ति के उद्धरण - दशपादीवृत्ति के उद्धरण साक्षात् नाम निर्देश द्वारा अथवा एके अपरे शब्दों द्वारा निम्न ग्रन्थों में उपलब्ध होते हैं
१ - सिद्धान्त चन्द्रिका सुबोधिनी - प्रक्रियाकौमुदी टोका टीका - माधवीया धातुवृत्ति
३ - प्रज्ञातनामा दशपादीवृत्ति ४- प्रौणादिक पदार्णव
५- सिद्धान्तकौमुदी टीका तत्त्वबोधिनी
१६- सिद्धान्तकौमुदीटीका प्रौढमनोरमा
७- नरसिंहदेवकृत भाष्यटीकाविवरण ( छलारी - टीका )
१० - देवराजयज्वा कृत निघण्टुटीका
११- दैवटीका- पुरुषकार १२- हम उणादि वृत्ति
१३ - हैम-धातुपारायण १४- क्षीरस्वामी - क्षीरतरङ्गिणी
१५ - न्यास - काशिकाविवरणपञ्जिका १६ - काशिकावृत्ति
इनमें से संख्या ३, ४ और १४ के ग्रन्थों में उद्धृत पाठों के अतिरिक्त अन्य सभी ग्रन्थों में उद्धृत पाठों का निर्देश हमने स्वसम्पादित दशपादीवृत्ति में यथास्थान कर दिया है । संख्या ३,४ तथा १४ के ग्रन्थ हमारे द्वारा सम्पादित संस्करण के पश्चात् उपलब्ध हुए वा छपे है ।
२ – अज्ञातनाम (वि० सं०
१२०० से पूर्व )
दशपादी उणादिपाठ की किसी अज्ञातनाम लेखक की वृत्ति उपलब्ध होती है । इस वृत्ति का एक मात्र हस्तलेख काशी के
१. तुलना करो - 'धान्तो घातुः पावकस्येव राशि:' क्षीरतरङ्गिणी द्वारा उद्धृत पाठ पृष्ठ १३६ तथा इसकी टिप्पणी ३, ४, ५ ।