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________________ १५ २० २५६ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास पर घुटां तृतीयश्चतुर्थेषु ये दो कातन्त्र व्याकरण के सूत्र उद्धृत हैं । कातन्त्र में ये सूत्र क्रमश: ३।८।२८, ८ पर हैं । २५ ७- -- इसके पृष्ठ १३२ पर किसी काव्य का धमः काञ्चनस्येव राशि: वचन उद्धृत है ।' १० २ - उणादि प्रकरण व्युत्पत्तिसार टीका दशपादीवृत्ति के उद्धरण - दशपादीवृत्ति के उद्धरण साक्षात् नाम निर्देश द्वारा अथवा एके अपरे शब्दों द्वारा निम्न ग्रन्थों में उपलब्ध होते हैं १ - सिद्धान्त चन्द्रिका सुबोधिनी - प्रक्रियाकौमुदी टोका टीका - माधवीया धातुवृत्ति ३ - प्रज्ञातनामा दशपादीवृत्ति ४- प्रौणादिक पदार्णव ५- सिद्धान्तकौमुदी टीका तत्त्वबोधिनी १६- सिद्धान्तकौमुदीटीका प्रौढमनोरमा ७- नरसिंहदेवकृत भाष्यटीकाविवरण ( छलारी - टीका ) १० - देवराजयज्वा कृत निघण्टुटीका ११- दैवटीका- पुरुषकार १२- हम उणादि वृत्ति १३ - हैम-धातुपारायण १४- क्षीरस्वामी - क्षीरतरङ्गिणी १५ - न्यास - काशिकाविवरणपञ्जिका १६ - काशिकावृत्ति इनमें से संख्या ३, ४ और १४ के ग्रन्थों में उद्धृत पाठों के अतिरिक्त अन्य सभी ग्रन्थों में उद्धृत पाठों का निर्देश हमने स्वसम्पादित दशपादीवृत्ति में यथास्थान कर दिया है । संख्या ३,४ तथा १४ के ग्रन्थ हमारे द्वारा सम्पादित संस्करण के पश्चात् उपलब्ध हुए वा छपे है । २ – अज्ञातनाम (वि० सं० १२०० से पूर्व ) दशपादी उणादिपाठ की किसी अज्ञातनाम लेखक की वृत्ति उपलब्ध होती है । इस वृत्ति का एक मात्र हस्तलेख काशी के १. तुलना करो - 'धान्तो घातुः पावकस्येव राशि:' क्षीरतरङ्गिणी द्वारा उद्धृत पाठ पृष्ठ १३६ तथा इसकी टिप्पणी ३, ४, ५ ।
SR No.002283
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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