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उणादि-सूत्रों के प्रवक्ता और व्याख्याता
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१६०६ का छपा) में पृष्ठ ६१६ पर एक 'उणादिसूत्रवृत्ति' का निर्देश है। इसकी संख्या १२६६ है। यह पञ्चपादी पर है, और इसका लेखक कोई जैन विद्वान है।
२२-अज्ञातनाम मद्रास राजकीय हस्तलेख संग्रह में एक उणादिसूत्र का हस्तलेख ५ विद्यमान हैं । द्र०-सूचीपत्र भाग १०, पृष्ठ ६१६ (सन् १९०६) संख्या ६१३ । इसके अन्त में पाठ है
'इति पाणिनीये उणादिसूत्रे पञ्चमः पादः' यह मूल सूत्रपाठ है अथवा वृत्ति ग्रन्थ, यह द्रष्टव्य है।
दशपादी-उणादिपाठ पाणिनीय वैयाकरणों द्वारा आश्रित उणादिसूत्रों का दूसरा पाठ 'दशपादी उणादिपाठ' के नाम से प्रसिद्ध है। .
दशपादी का आधार पञ्चपादी दशपादी उणादिपाठ का संकलन उणादि-सिद्ध शब्दों के अन्त्यवर्णक्रम के अनुसार किया गया है, यह हम पूर्व लिख चुके हैं। यह १५ संकलन भी पञ्चपादीय पाठ पर आश्रित है अर्थात् दशपादी में तत्तद् अन्त्यवर्णवाले शब्दों के साधक सूत्रों का संकलन करते समय पहले पञ्चपादी के प्रथम पाद के सूत्रों का संकलन किया गया है। तत्पश्चात् क्रमशः द्वितीय तृतीय चतुर्थ और पञ्चम पाद के सूत्रों का । हम इस बात को स्पष्ट करने के लिये दशपादी के प्रथम पादस्थ इवर्णान्त शब्दसाधक सूत्रों के संकलन का निर्देश करते हैंसूत्रसंख्या १-१ तक पञ्चपादी के द्वितीय पाद के सूत्र " , १०-१२ ॥ , " तृतीय ॥ ॥ , " ॥ १६-७५ ॥ ॥ ॥ चतुर्थ , , , , , ७७-८१
, पञ्चम, मे, २५