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- उणादि-सूत्रों के प्रवक्ता और व्याख्याता
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परिचय-अलवर राजकीय हस्तलेख पुस्तकालय के सूचीपत्र के निर्माता ने पृष्ठ ४६ ग्रन्थसंख्या १०६४ के विवरण में शिवराम के पिता का नाम कृष्णराम तथा शिवराम के ज्येष्ठ भ्रातानों के नाम गोविन्दराम, मुकन्दराम और केशवराम लिखे हैं ।
काल-अलवर के सचीपत्र के सम्पादक ने शिवराम का काल ५ ईसा की १८वीं शती लिखा है।
उणादिवृत्ति का नाम-उणादिवृत्ति, जिसका ग्रन्थकोर ने उणादिकोश नाम से व्यवहार किया है, का नाम 'लक्ष्मीनिवासाभिधान' भी है। इसी नाम से यह काशी से प्रकाशित षट्-कोश-संग्रह में छपी है।
अन्य ग्रन्थ-ऊपर जो श्लोकांश उद्धृत किया है, उसमें पांच काव्य ग्रन्थ, ५ स्तुतिग्रन्थ ( स्तोत्र ), १७ टीकाग्रन्थ, १ उणादिकोश का निर्देश है। उक्त श्लोक के उत्तरार्ध में भूपालभूषण, रसरत्नहार और विद्याविलास ग्रन्थों का उल्लेख मिलता है। इनके अतिरिक्त काव्य लक्ष्मीविलास (जिसमें उक्त वर्णन हैं,) तथा परिभाषेन्दु शेखर १५ की 'लक्ष्मीविलास टीका' भी इसने लिखी है।'
१७-रामशर्मा (वि० सं० १९४० से पूर्व)
रामशर्मा नाम के किसी व्यक्ति ने उणादिसूत्रों की एक व्याख्या लिखी है।
हमारे मित्र पं० राम अवध पाण्डेय (वाराणसी) की सूचना- २० नुसार यह वृत्ति 'उणादिकोश' नाम से काशी से प्रकाशित होनेवाले 'पण्डित' पत्र के द्वितीय भाग में छप चुकी है। हमारी दृष्टि में यह संस्करण नहीं आया।
इस वृत्ति के पण्डितपत्र में प्रकाशित होने से इसका रचना काल वि० सं० १९४० से पूर्व है।
१. अलवर राजकीय ह० सं० सूची, पृष्ठ ४६ ।