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उणादि सूत्रों के प्रवक्ता और व्याख्याता
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इनके अतिरिक्त जिन लेखकों ने दीक्षितकृत प्रौढ़मनोरमा, नागेश के लघुशब्देन्दुशेखर बृहत्शब्देन्दुशेखर प्रादि पर टीकाग्रन्थ लिखे, उन्होंने भी प्रसंगतः उणादि भाग पर कुछ न कुछ लिखा ही है । विस्तरभिया हमने उनका निर्देश नहीं किया ।
इन सभी टीकाका प्रधान प्रश्रय भट्टोजि दीक्षित विरचित प्रौढमनोरमा है । उणादिसूत्रों की व्याख्या तथा पाठ भेद आदि के लिए प्रौढमनोरमा देखने योग्य है ।
१० - नारायण भट्ट (सं० १६११७-१७३३ वि० के मध्य )
नारायण भट्ट ने पाणिनीय व्याकरण पर प्रक्रियासर्वस्व नाम का एक ग्रन्थ लिखा है। उसके कृदन्त प्रकरण में उणादिसूत्रों पर भी १० संक्षिप्त वृत्ति लिखी है । इस वृत्ति में नारायण भट्ट ने स्थान-स्थान पर भोजदेवद्वारा विवृत प्रौणादिक शब्दों का भी संग्रह किया है । यही इसकी विशेषता है। यह वृत्ति उणादि के दाक्षिणात्य पाठ पर है ।
नारायण भट्ट के देशकाल आदि के विषय में हम इस ग्रन्थ के प्रथम भाग में पाणिनीय व्याकरण के प्रक्रिया ग्रन्थकार, नामक १६ वें श्रध्याय में लिख चुके हैं ।
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टीकाकार
नारायणभट्ट प्रक्रिया सर्वस्व पर जिन विद्वानों ने टोकाएं लिखीं, उन्होंने प्रसङ्ग प्राप्त उणादिवृत्ति की भी टीकाएं कीं । प्रक्रिया सर्वस्व पर लिखी गई तीन टीकाओं का निर्देश हमने इस ग्रंथ के प्रथम भाग २० मैं किया है।
११ - महादेव वेदान्ती (सं० १७२० - १७७० वि० )
सांख्य दर्शन के वृत्तिकार महादेव वेदान्ती ने उणादिसूत्रों पर एक लध्वी वृत्ति लिखी है । हमने इसका एक हस्तलेख पहले पहल सरस्वती भवन वाराणसी के संग्रह में वि० सं० १९९० में देखा था । ' अब यह वृत्ति डियार (मद्रास) से प्रकाशित हो चुकी है ।
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१. इसका उल्लेख हमने स्वसम्पादित दशपादी वृत्ति के उपोद्धात पृष्ठ २१ पर किया है।