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२३० संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास यद्यपि A.B. पाठों में ४।१४६ तक बहुत अन्तर नहीं है, पुनरपि ४११४७ से अन्त तक दोनों पाठों में महदन्तर है इस अन्तर का कारण मृग्य है।
९-भट्ठोजि दीक्षित (सं० १५७०-१६५० वि०) भट्टोज दोक्षित ने सिद्धोन्तकौमुदो के अन्तर्गत उगादिसूत्रों की संक्षिप्त व्याख्या की है। यह व्याख्या प्राच्च पाठ पर है।
भट्टोजि दीक्षित के देशकाल आदि के विषय में हम इस ग्रन्थ के प्रथम भाग में 'अष्टाध्यायी के वत्ति कार' प्रकरण में विस्तार से लिख चुके हैं।
टीकाकार यतः भट्टोजि दीक्षित की उणादिव्याख्या सिद्धान्तकौमुदी का एकदेश है, इसलिए जिन विद्वानों ने सिद्धान्तकौमुदी पर टीका ग्रन्थ लिखे, उन्होंने प्रसङ्ग प्राप्त उणादि-व्याख्या पर भी टीकाएं की। हमने
इस ग्रन्थ के प्रथम भाग में सिद्धान्तकौमुदी के निम्न टीकाकारों का १५ उल्लेख किया है
१–भट्टोजि दोक्षित १२-तोप्पल दीक्षित (प्रकाश) २-ज्ञानेन्द्र सरस्वती १३-अज्ञात कर्तृक (लघुमनोरमा) ३-नीलकण्ठ वाजपेयी १४--,,, (शब्दसागर) ४ रामानन्द १५-,, , (शब्दरसार्णव) ५-नागेश भट्ट १६-, , (सुधाञ्जन) ६–रामकृष्ण १७–लक्ष्मीनृसिंह ७--रङ्गनाथ यज्वा १८-शिवरामचन्द्र सरस्वती ८-वासुदेव वाजपेयी १६-इन्द्रदत्तोपाध्याय
-कृष्णमित्र २०--सारस्वत व्यूढ़मिश्र १०-रामचन्द्र २१-बल्लभ ११-तिरुमल द्वादशाहयाजी
इन सब टीकाकारों के देशकाल आदि के परिचय के लिए इस ग्रन्थ के प्रथम भाग में 'पाणिनीयव्याकरण के प्रक्रिया ग्रन्थकार' नामक १६ वें अध्याय में सिद्धान्तकौमुदी के व्याख्याता प्रकरण देखें।