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संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास
-काल-उज्ज्वलदत्त का काल अत्यन्त सन्दिग्ध है। साम्प्रतिक ऐतिहासिक विद्वान उसका काल प्रायः ईसा की १३वीं १४वीं शतो मानते हैं। हमारे विचार में उज्ज्वलदत्त का काल विक्रम की १३वों
शती के पूर्वार्ध से उत्तरवर्ती किसी प्रकार नहीं है । अतः हम उज्ज्वल५ दत्त के काल-निर्णायक सभी प्रमाण नीचे संगृहोत करते हैं
१-सायण ने माधवीया धातुवृत्ति में उज्ज्वलदत्त का नामनिर्देश पूर्वक उल्लेख किया है। सायण का काल वि० सं० १३७२१४४४ निश्चित है।
२-उज्ज्वलदत्त ने उणादिवृत्ति ११०१ में मेदिनी कोष के १० रचयिता मेदिनीकर का नामोल्लेख पूर्वक निर्देश किया है। मेदिनी
कोष का काल विक्रम की १४वीं शती माना जाता है। अतः उससे यह उत्तरवर्ती है।
मेदिनी कोष का काल-वस्तुतः उज्ज्वलदत्त का काल मेदिनी कोष के काल पर प्रधान रूप से अवलम्बित है । अतः हम उसके काल १५ का निर्णय करते हैं
___ क-सं० १४०० वि० के समीपवर्ती पद्मनाभदत्त ने भूरिप्रयोग कोष में मेदिनी कोष का उल्लेख किया है।
ख -मल्लिनाथ ने माघ काव्य के २१६५ की टीका में 'इन: पत्यौ नपार्कयोः इति मेदिनी' पाठ उद्धृत किया है। ऐतिहासिक मल्लि२० नाथ का काल विक्रम की चौदहवीं शती मानते हैं। यह चिन्त्य है। हैमबृहद्वृत्त्यवचूणि में पृष्ठ १५४ पर मल्लिनाथ कृत तन्त्रोद्योत अपर
१. पुरुषोत्तमदेव भाषावृत्ति, भूमिका, पृष्ठ २० में दिनेशचन्द्र ।
२. ऋन्द्राग्र (उ० २।२८) इति सूत्रे वर्णशब्दस्य पाठोऽनार्षः 'कृवृजसिद्रुपत्य मिस्वपिम्यो नित् (उ० ३।१०) इति नप्रत्ययेन सिद्धत्वादित्युज्ज्वल२५ दत्तः । धातुवृत्ति पृष्ठ ३१६ । द्रष्टव्य-उज्ज्वलदत्तीय उणादिवृत्ति २।२८, पृष्ठ ७३ ।
३. संस्कृत साहित्य का संक्षिप्त इतिहास, पृष्ठ ५५१-५५२ (ई० १४वीं शतक पूर्व)।
४. वही, पृष्ठ ५५२ । ५. वही, पृष्ठ ५५२ (ई० १३५०) ।