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________________ ५ २१२ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास १ - महाभाष्यकार पतञ्जलि ने हयवरट् प्रत्याहार सूत्र एक प्राचीन सूत्र उद्धृत किया है'जीवेरदानुक्' - जीरदानु! ।' के भाष्य २० महाभाष्यकार द्वारा उद्धृत 'जीवेरदानुक्' सूत्र दशपादी पाठ (१।१६३) में ही उपलब्ध होता है, पञ्चपादी पाठ में नहीं है । इस सूत्र को काशिकाकार ने भी ६।१।६६ को वृत्ति में उद्धृत किया है । २ - पाणिनीय व्याकरण के अनेक व्याख्याताओं ने दशपादी सूत्रों को अपने ग्रन्थों में उद्धृत किया है । यथा क - वामन ने काशिकावृत्ति ६ । २ । ४३ में यूप शब्द के लिए कुसु१० युभ्यश्च सूत्र उद्धृत किया है । यह पाठ दशपादी ७।५ में हो उपलब्ध होता है ।' पञ्चपादी में पाठभेद है । ख - हरदत्त मिश्र ने काशिका ७ ४ ४८ में वार्तिक के उषस् शब्द की सिद्धि के लिये वसेः कित् सूत्र उद्धृत किया है ।" यह पाठ दशपादी ६४ में ही मिलता है । पञ्चपादी में उष: कित् ( ४१२३९ ) १५ पाठ है । 1 ३ - पाणिनीय धातुपाठ के व्याख्याता क्षीरस्वामी ने अपनी क्षीरतरङ्गिणी में जो उणादिसूत्र उद्धृत किये हैं, उनकी पञ्चपादी और दशपादी के पाठों की तुलना करने से विदित होता है कि क्षीरस्वामी उणादिसूत्रों के दशपादी पाठ को स्वीकार करता है। उसके दशपादी के पाठ भी हमारे द्वारा सम्पादित दशपादी के क-हस्तलेख नुकूल हैं । १. कहीं कहीं 'जीवेरदानुः' पाठान्तर भी है । परन्तु महाभाष्य ६ | १|६६ के पाठ से विदित होता है कि 'जीवेरदानुक्' पाठ ही प्रामाणिक है। वहां 'जीव' धातु को 'ऊठ् ' की प्राप्ति दर्शाई है। वह प्राप्ति प्रत्यय के कित होने पर ही सम्भव है । २५ २. तुलना करो - दशपाद्यां तु 'कुसुयुभ्यश्च' इति पाठः । प्रौढमनोरमा पृष्ठ ७७५ । ३. तुलना करो - दशपाद्यां तु 'वसे: कित्' इति पाठ: । प्रौढमनोरमा पृष्ठ ८०५ ।
SR No.002283
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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