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उणादि-सूत्रों के प्रवक्ता और व्याख्याता
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४-पाणिनि (सं० २८०० वि० पूर्व) प्राचार्य पाणिनि ने अपने पञ्चाङ्ग व्याकरण की पूर्ति के लिए, तथा उणादयो बहुलम् (अष्टा० ३।३।१) सूत्र से संकेतित उणादि प्रत्ययों के निदर्शन के लिये किसी उणादिपाठ का प्रवचन किया था, यह निश्चित है। ___ हम पूर्व लिख चुके हैं कि पाणिनीय वैयाकरणों द्वारा पञ्चपादी
और दशपादी दोनों प्रकार के उणादिसूत्र समादृत हैं। इनमें से पाणिनि प्रोक्त कौन-सा है, इसकी विवेचना करते हैं
पञ्चपादी का प्रवक्ता पञ्चपादी उणादिसूत्रों का प्रवक्ता कौन है ? इस विषय में प्राचीन १० ग्रन्थों में दो मत उपलब्ध होते हैं । कतिपय अर्वाचीन वैयाकरण पूर्वनिर्दिष्ट महाभाष्य के व्याकरणे शकटस्य च तोकम् वचन के आधार पर पञ्चपादी उणादिपाठ को शाकटायनप्रोक्त मानते हैं। यथा
१–'उणादय इत्येव सूत्रमुणादीनां शास्त्रान्तरपठितानां साधुत्वज्ञापनार्थमस्त्विति भावः ।' कैयट, प्रदीप ३।३।१।।
२-पञ्चपादी का वृत्तिकार श्वेतवनवासी लिखता है'येयं शाकटायनादिभिः पञ्चपादी रचिता।' पृष्ठ १,२। ३–नागेश भट्ट लिखता है'एवं च कुवापेति उणादिसूत्राणि शाकटायनस्येति सूचितम् ।' प्रदीपोद्योत ३।३॥१॥
४-वासुदेव दीक्षित सिद्धान्तकौमुदी की व्याख्या में लिखता है'तानि चेमानि सूत्राणि शाकटायनमुनिप्रणीतानि, न तु पाणिनिना प्रणीतानि ।' बालमनोरमा भाग ४, पृष्ठ १३८ (लाहोर सं०) ।
इन उद्धरणों से स्पष्ट है कि उपर्युक्त ग्रन्थकार पञ्चपादी उणादि सूत्रों को शाकटायन-प्रोक्त मानते हैं ।
कतिपय प्राचीन ग्रन्थकार ऐसे भी हैं, जो पञ्चपादी उणादिसूत्रों। को पाणिनीय मानते हैं । यथा
१-प्रक्रियासर्वस्वकार नारायण भट्ट उणादि-प्रकरण में लिखता है
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