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उणादि-सूत्रों के प्रवक्ता और व्याख्याता २०७
२-शन्तनु (सं० २६०० वि० पूर्व) । अाफेक्ट ने अपनी बृहद् हस्तलेखसूत्री (पृष्ठ ६३, कालम १) में डा० कीलहान सम्पादित मध्यप्रदेश-हस्तलेख सूची (नागपुर) के आधार पर प्राचार्य शन्तनु के उणादिसूत्र के हस्तलेख का संकेत किया है। ___ शन्तनुप्रोक्त उणादिसूत्र की सूचना अन्य किसी भी स्थान से प्राप्त नहीं होती । सम्प्रति उपलभ्यमान शान्तनव फिट सूत्र शान्तनव शब्दानुशासन का एक अंश है।' इसलिए शन्तनु ने अपने शब्दानशासन से संबद्ध किसी उणादिपाठ का प्रवचन भी किया हो, इसमें सन्देह करने की कोई स्थिति नहीं।
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३-आपिशलि (सं० २६०० वि० पूर्व) आचार्य प्रापिशलि ने अपने शब्दानुशासन के खिलरूप धातुपाठ और गणपाठ का प्रवचन किया था, यह हम अनेक प्रमाणों द्वारा तत्तत् प्रकरण में लिख चुके हैं। आचार्य ने स्वव्याकरण से संबद्ध किसी उणादिपाठ का भी अवश्य प्रवचन किया होगा इसमें सन्देह का १५ कोई अवसर नहीं। पुनरपि आपिशल उणादिपाठ सम्बन्धी कोई साक्षात् वचन अभी तक उपलब्ध नहीं हुआ। __ पञ्चपादी उणादिसूत्रों में धातु प्रत्यय तथा तत्सम्बन्धी जो अनुबन्ध उपलब्ध होते हैं, उनसे भी इस विषय में कोई प्रकाश नहीं पड़ता कि पञ्चपादी उणादि का संबन्ध किस शब्दानुशासन के साथ २० है। क्योंकि प्रापिशल धातु, प्रत्यय और तत्सम्बद्ध अनुबन्ध सभी प्रायः पाणिनीय धातु प्रत्यय और अनुबन्धों के साथ समानता रखते हैं। हां, उणादिसूत्रों में एक अमन्ताड्डः सूत्र ऐसा है, जिसके आधार पर कुछ अनुमान किया जा सकता है।
पाणिनीय प्रत्याहार सूत्र अ म ङ ण नम् में जो वर्णानुपूर्वी है, २५ उसे यदि ङञ न ण म म इस वर्णक्रम से रखा जाए, तो पाणिनीय
१. इसके लिए देखिए इसी ग्रन्थ का 'फिट्सूत्र और उसके व्याख्याता' नामक २७ वां अध्याय। २. पञ्चपादी १।१०७॥ दशपादी ५७॥