SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 230
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उणादि-सूत्रों के प्रवक्ता और व्याख्याता २०५ इसके सम्बन्ध में निश्चित रूप से हम कुछ नहीं कह सकते। सम्भव है दशपादी उणादि का संकलन मातृका क्रमानुसार अन्त्यवर्णक्रम से होने के कारण अन्य मेदिनी आदि कोशों के सादृश्य से इन शब्दों का व्यवहार उणादिपाठ के लिये प्रारम्भ हा हो। अथवा दशपादी के संकलन में प्राचीन कोशक्रम कारण रहा हो। उपलभ्यमान प्राचीन उणादिसूत्र इस समय जितने उणादिसूत्र उपलब्ध हैं, उनमें पञ्चपादी और दशपादी उणादिसूत्र प्राचीन हैं। इनमें भी पञ्चपादी उणादिसूत्र . प्राचीनतर है, यह हम आगे यथास्थान लिखेंगे। पाणिनीय वैयाकरणों द्वारा पञ्चपादी और दशपादी दोनों प्रकार १० के ही उणादिसूत्र समादृत हैं। सिद्धान्तकौमुदी के रचयिता भट्टोजि दीक्षित ने पञ्चपादी उणादिसूत्रों को अपने ग्रन्थ में स्थान दिया है। प्रक्रिया-कौमुदी के व्याख्याता विट्ठल ने अपनी व्याख्या में दशपादी उणादिसूत्रों की व्याख्या की है। इनके अतिरिक्त अन्य अनेक पाणिनीय वैयाकरणों ने दोनों प्रकार के उणादिसूत्रों पर वृत्ति ग्रन्थ लिखे १५ हैं। इन दोनों में कौन सा पाठ पाणिनीय है, इसकी विवेचना आगे पाणिनीय उणादिपाठ के प्रकरण में विस्तार से की जाएगी। हम पूर्व लिख चुके हैं कि प्रत्येक शब्दानुशासन के प्रवक्ता को धातुपाठ गणपाठ उणादिसूत्र और लिङ्गानुशासन रूपी खिल पाठों का प्रवचन करता होता है। इसलिए प्रत्येक शब्दानुशासन के प्रवक्ता ने २० उणादिसूत्रों का खिल रूप से प्रवचन किया होगा, इसमें कोई सन्देह नहीं। परन्तु सम्प्रति न तो पाणिनि से पूर्ववर्ती वैयाकरणों के उणादि पाठ ही उपलब्ध हैं, और न उसके सम्बन्ध में कोई सूचना ही प्राप्त होती है। इसलिए जिन प्राचीन वैयाकरणों के उणादिप्रवक्तृत्व में कुछ भी संकेत उपलब्ध होते हैं, अथवा जिनके उणादिपाठ सम्प्रति २५ उपलब्ध हैं, उनके विषय में आगे लिखा जाता है १-काशकृत्स्न (स० ३१०० वि० पूर्व) काशकृत्स्नप्रोक्त उणादिसूत्र उपलब्ध नहीं हैं । काशकृत्स्नप्रोक्त
SR No.002283
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy