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का प्रवक्ता ३४६, फिटसूत्रों का प्रवचनकाल ३५०, कीथ की भूल ३५३, नामकरण का कारण ३५३, फिट्सूत्र बृहत्तन्त्र के एकदेश ३५३, फिट्सूत्रों का पाठ ३५६ ।।
वृत्तिकार-१, २, ३. अज्ञातनाम ३२७-३२८,४. विट्ठल ३५८; ५. भट्टोजिदीक्षित ३५८, व्याख्याकार-भट्टोजि ३५८, जयकृष्ण ३५८, नागेश ३५६; ६. श्रीनिवासयज्वा ३५६ ।। २८-प्रातिशाख्य आदि के प्रवक्ता और व्याख्याता ३६०
उपलब्ध अथवा ज्ञात प्रातिशाख्य ३६१, प्रातिशाख्य के पर्याय ३६१, प्रातिशाख्य शब्द का अर्थ ३६१, चरण और शाखाओं का भेद ३६३, प्रतिशाखा शब्द का मूल अर्थ ३६३, आधुनिक विद्वानों की भूल ३६५, पार्षद-पारिषद शब्द का अर्थ ३६५ ।।
प्रातिशाख्यों का स्वरूप-३६७, डा० वर्मा कानिराधार आक्षेप ३६६, प्रातिशाख्य और ऐन्द्र सम्प्रदाय ३६६ । - ऋग्वेद के प्रातिशाख्य -३७१, प्रवक्ता-१. शौनक ३७१ काल ३७२, सामान्य परिचय ३७३, ऋप्रातिशाख्य का प्रारम्भ ३७३, डा० मङ्गलदेव की भूल ३७४, व्याख्याकार-भाष्यकार ३७७, प्रात्रेय ३७७, विष्णुमित्र ३७८, उव्वट ३७६,. सत्ययशाः ३८०, अज्ञातनाम ३८१, पशुपतिनाथ . ३८१ । २. माश्वलायन ३८१, काल ३८२, पार वात्य विद्वानों की भूल ३८२, ३. वाष्कलपार्षद-प्रवक्ता ३८३, ४. शाङ्घायन पार्षद-प्रवक्ता ३८३।।
शुक्लयजुःप्रातिशाख्य-५. कात्यायन ३८४, अन्य ग्रन्थ ३८ , प्रातिशाख्य परिशिष्ट ३८६; व्याख्याकार-उव्वट ३८६, अनन्त भट्ट ३८७, श्रीराम शर्मा ३८६, राम अग्निहोत्री ३६०, शिवराम ३६१, विवरणकार ३६२ । प्रातिशाख्यानुसारिणी शिक्षा-३६२, वालकृष्ण शर्मा ३९२, अमरेश ३९४ ।
कृष्णयजुःप्रातिशाख्य -६. तैत्तिरीय प्रातिशाख्यकार, ३६४, ह्विटनी के आक्षेप ३६५, समाधान ३६५, कस्तूरि रङ्गाचार्य का सत्साहस ३६५, व्याख्याकार -प्रात्रेय ३९६, वररुचि ३६७, माहिषेय ३९८, सोमयार्य ३९८, गार्ग्य गोपालयज्वा ३६६, वीरराघव कवि ४००, भैरवाचार्य ४०१, पद्मनाभ. ४०१, अज्ञातनाम ४०१। ७.