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गणपाठ के प्रवक्ता श्रौर व्याख्याता
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सुधाकर के धातुविषयक मत कृष्ण लीलाशुक मुनि विरचित देव
व्याख्यान में बहुधा उद्धृत हैं ।
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इससे अधिक सुधाकर के विषय में हम कुछ नहीं जानते ।
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गणपाठ के तुलनात्मक अध्ययन और विशेष परिज्ञान के लिए हमारे मित्र प्रा० कपिलदेवजी साहित्याचार्य एम. ए., पीएच. डी. का 'संस्कृत व्याकरण में गणपाठ की परम्परा और प्राचार्य पाणिनि ग्रन्थ देखना चाहिए ।
...ग्रेजी भाषा में मूल गणपाठ के संशोधित पाठ और उस पर टिप्पणियों के सहित छपा है । इस के साथ ही डा० एस. एम. अयाचित का 'गणपाठ ए क्रिटिकल स्टडी' ग्रन्थ भी देखना चाहिये । यह १० कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रकाशित हुआ है ।
प्रवक्ता और व्या किया है । अगले
इस प्रकार इस अध्याय में हमने गणपाठ के ख्याता आचार्यों का यथाज्ञान वर्णन करने का प्रयत्न अध्याय में उणादिसूत्रों के प्रवक्ता और व्याख्याता वैयाकरणों का वर्णन किया जायगा ।
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