________________
गणपाठ के प्रवक्ता और व्याख्याता १७३ गणरत्नमहोदधि के हैं, और श्लोकगणपाठ अथवा श्लोकगणकार के नाम से उद्धृत उद्धरण किसी अन्य वैयाकरण के हैं।
२. गणपाठकारिकाकार मद्रास विश्वविद्यालय के अन्तर्गत हस्तलेख संग्रह के सूचीपत्र भाग ५, खण्ड १ B. पृष्ठ ६४२१, पुस्तक संख्या ४३७ B. पर गण- ५ पाठकारिका ग्रन्थ का एक हस्तलेख निर्दिष्ट है । इसके कर्ता का नाम अज्ञात है। यह कारिका ग्रन्थ पाणिनीय धातुपाठ पर है। हस्तलेख अपूर्ण है।
गणकारिकाव्याख्याता–राप्तिकर रासिकर नाम के किसी शैवाचार्य ने गणकारिका नाम के ग्रन्थ १० पर एक भाष्य लिखा था। इसका उल्लेख जर्नल आफ दी आन्ध्र हिस्टोरिकल रिसर्च सोसाइटी भाग १३, खण्ड ३, ४ पृष्ठ १७६ पर मिलता है। गणकारिका के कर्ता आदि का नाम अज्ञात है।
३. गण-संग्रहकार-गोवर्धन अष्टाध्यायी के प्रत्येक गणनिर्देशक आदि पदसंबद्ध सूत्र के लिए १५ इस ग्रन्थ में कुछ शब्दों का संग्रह कर दिया है, चाहे वे गणपाठ से संबद्ध हों अथवा न हों। व्यवस्थित (पठित) गणों में कहीं-कहीं वतकरण भी किया है। इसका संग्राहक कोई गोवर्धननामा वैयाकरण है। इस ग्रन्थ का एक अधूरा हस्तलेख काशी के सरस्वती भवन में हमने देखा था।
४. गणपाठकार-रामकृष्ण काशी के सरस्वती भवन के हस्तलेखसंग्रह में गणपाठ का एक . हस्तलेख और है । उसके अन्त में निम्न पाठ है
इति श्रीगणपाठे श्रीगोवर्धनदीक्षितसूनुरामकृष्णविरचितोऽष्टमोऽध्यायः।
इस लेख से प्रतीत होता है कि इस गणपाठ का संग्राहक कोई रामकृष्णनामा वैयाकरण था। इसके पिता का नाम गोवर्धन दीक्षित था । पूर्वनिर्दिष्ट गोवर्धन और यह गोवर्धन दोनों एक हैं अथवा भिन्नभिन्न व्यक्ति, यह अज्ञात है। इसका एक हस्तलेख भण्डारकर प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान में भी है। द्र०-व्याकरण विभागीय सूचीपत्र सन् २० १९३८ सं० २५३ (३२६/१८८१-८२) ।