________________
धातुपाठ के प्रवक्ता और व्याख्याता (३) १४३ इससे ध्वनित होता है कि सायण के मत में आभरणकार हरदत्त से उत्तरवर्ती है।
कतिपय अनितिसंबंध हस्तलिखित ग्रन्थ १-धातुमञ्जरी-काशीनाथविरचित धातुमञ्जरी का एक कोश जम्मू के रघुनाथ मन्दिर के पुस्तकालय में सुरक्षित है। (द्र०- ५ सूचीपत्र सं० १४८, पृष्ठ ४२) । दूसरा भण्डारकर प्राच्यशोध प्रतिष्ठान पूना में विद्यमान है।
यह ग्रन्थ सन् १८१५ में लन्दन से अंग्रेजी अनुवाद सहित छपा था। इसका सम्पादन चार्ल्स विल्किसन ने किया था। सम्पादक ने धातुमञ्जरी में व्याख्यात धातुओं को अकारादि क्रम से छापा है। १० इस ग्रन्थ का मूल पाठानुसारी सम्पादन सौन्दर्य शास्त्री रामाश्रय शुक्ल कर रहे हैं।
२-धातुमञ्जरी-इसका लेखक रामसिंह वर्मा है । यह छप चुका है परन्तु हमारे देखने में नहीं आया।
३--तिङन्तशिरोमणि-अडियार पुस्तकालय के सूचीपत्र में १५ सं० ३६६ पर धातुपाठ का एक हस्तलेख निर्दिष्ट है। इसमें एक पाठ है--
'तिङन्तशिरोमणिरीत्या धातवो लिख्यन्ते'। ४-धातुमाला-अडियार पुस्तकालय के सूचीपत्र में संख्या ३९७ पर इसका हस्तलेख निर्दिष्ट है । यह ग्रन्थ पूर्ण है।
इस प्रकार आचार्य पाणिनि से उत्तरवर्ती धातुपाठ के प्रवक्ता और व्याख्याताओं के विषय में लिखकर अगले अध्याय में गणपाठ के प्रवक्ता और व्याख्याताओं के विषय में लिखेंगे ॥
२०