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धातुपाठ के प्रवक्ता और व्याख्याता (३) १४१ ३-प्रक्रियारत्न-धातुवृत्ति में बहुत्र तथा पुरुषकार पृष्ठ १०२ पर उद्धृत है। ... ४- कविकामधेनु-पुरुषकार पृष्ठ २६, ६४ पर उद्धृत।
५-सम्मता-धातुवृत्ति पृष्ठ ६२ तथा बहुत्र । द्र०-सम्मतायां तु वर्धमानवदुक्त्वाऽन्यस्त्वयमिदित् पठ्यत इत्युक्तम् ।धातु पृ० ६२। ५ :
संख्या ४ का कविकामधेनु ग्रन्थ सम्भवतः धातुपाठ की व्याख्या न होकर अमरकोश की व्याख्या हो।' ...
ग्रन्थकारनाम १-प्रार्य-क्षीरत० पृष्ठ २५२ । पुरुषकार पृष्ठ ४२, ६६, ६८,
८३,१०४। २-प्राभरणकार-धातुवृत्ति, बहुत्र । यथा पृष्ठ २३४ । ३--अहित-क्षीरतरङ्गिणी, पृष्ठ १०१। ४-उपाध्याय-क्षीरत०, पृष्ठ १८ । ५-कविकामधेनुकार--पुरुषकार पृष्ठ ४१ । ६-काश्यप-धातुवृत्ति, बहुत्र। ७--कुलचन्द्र-धातुदीपिका, पृष्ठ २३५।
८--कौशिक-क्षीरत०, पृष्ठ १४,१६ आदि अनेकत्र। पुरुषकार पृष्ठ १२,६४,६७ ।
--गुप्त-क्षीरत०, पृष्ठ ६६, ११२, ३२०, ३२३ । पुरुषकार पृष्ठ ६६,६०।
१०--गोविन्द भट्ट-धातुदीपिका, पृष्ठ १७३,२३७ । ११--चतुर्भुज-धातुदीपिका, पृष्ठ २८, २१०, २३७ आदि।
१२-द्रमिड-क्षीरत०, पृष्ठ २२,३४ आदि बहुत्र । पुरुषकार , ३२,४६,६८,८३,१०४।
१३--धनपाल-पुरुषकार, पृष्ठ ११, २२, २६ आदि बहुत्र। २५ धातुवृत्ति पृष्ठ ६१, १३६ आदि अनेकत्र।
१. 'प्रसूतं कुसुमं समम्' (अमर २१४११७) इत्यत्र कविकामधेनु......... पृष्ठ २९ । तथा 'भ्रकु'सश्च ..... (अमर १।६।११,१२) इत्यत्र कविकामधेनुकार...... | पृष्ठ ४१।