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________________ धातुपाठ के प्रवक्ता और व्याख्याता (३) १३५ १७. हेमचन्द्र सूरि (सं० ११४५-१२२६ वि०) आचार्य हेमचन्द्र सूरि के शब्दानुशासन और काल के विषय में इस ग्रन्थ के प्रथम भाग में विस्तार से लिख चुके है। धातुपाठ हेमचन्द्र ने अपने व्याकरण से संबद्ध सभी अङ्गों (खिलों) का ५ प्रवचन किया था। उसके अन्तर्गत धातुपाठ का प्रवचन भी सम्मिलित है । इस धातुपाठ में भी काशकृत्स्नवत् जुहोत्यादिगण का अदादिगण में अन्तर्भाव होने से ६ गण हैं। तथा परस्मैपद आत्मनेपद उभयपद विभाग भी प्रतिगण काशकृत्स्नवत् संगृहीत हैं। हैम धातुपाठ प्रतिगण अन्त्यस्वरवर्णानुक्रम-युक्त है। वृत्तिकार हेमचन्द्र सूरि के धातुपाठ पर जिन वैयाकरणों ने व्याख्याग्रन्थ लिखे उनमें दो प्राचार्य परिज्ञात हैं १-प्राचार्य हेमचन्द्र आचार्य हेमचन्द्र ने अपने धातुपाठ पर ५६०० श्लोक परिमाण १५ स्वोपज्ञ-धातुपारायण नाम को विस्तृत व्यास्या लिखी है। पहले यह व्याख्या यूरोप से प्रकाशित हुई थी। चिरकाल से यह अप्राप्य थी। इसका नवीन परिशुद्ध संस्करण सं० २०३५ में अहमदाबाद से प्रकाशित हुआ है। धातुपारायण-संक्षेप-आचार्य हेमचन्द्र ने धातपारायण का एक २० संक्षेप भी रचा था। इसे हम लघु धातुपारायण कह सकते हैं। हैम धातुपारायण-टिप्पण-हैम धातुपारायण पर सं० १५१६ की लिखी किसा विद्वान् की टिप्पणी भी मिलती है। २-गुणरत्न सूरि (सं० १४६६) प्राचार्य गुणरत्न सूरि ने हैम धातुपाठ पर क्रियारत्न-समुच्चय २५ नाम्नी व्याख्या लिखी है। १. द्र० जैन सत्यप्रकाश, वर्ष ७, दीपोत्सवी प्रक, पृष्ठ ६७ । २. वही दीपोत्सवी अंक, पृष्ठ ९७ ।
SR No.002283
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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