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________________ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास १२ - श्रोष्ठ्यकारिका - इसमें केवल ६ कारिकाएं हैं। इनमें पवर्गीय 'ब' वर्णवालो धातुत्रों का संग्रह है । वस्तुतः इन कारिकाश्रों में समस्त 'ब' वर्णवाली धातुओं का संग्रह नहीं है, क्योंकि धातुपाठ में इन से भिन्न भी बहुत-सी बकार वाली धातुएं देखी जाती हैं ।' अतः सम्भव है कि इन कारिकाओं का सम्बन्ध किसी अज्ञात संक्षिप्त धातु पाठ के साथ हो । अमरटीका - सर्वस्वकार ने अपने व्याख्यान में ( भाग १ पृष्ठ ७ ) इसे उद्धृत किया है । अतः यह वि० सं० १२२५ से प्राचीन अवश्य है । ५ इन कारिकाओं के रचयिता का नाम आदि अज्ञात है | ८२ १० १३ - अनिट् - कारिका - यह ग्रन्थ आचार्य व्याघ्रभूति का माना जाता है ।' आचार्य व्याघ्रभूति प्रति प्राचीन व्यक्ति है। वह निश्चय ही २८०० विक्रमपूर्व से पूर्ववर्ती है। पं० गुरुपद हालदार ने इसे पाणिनि का साक्षात् शिष्य लिखा है । इसमें प्रमाण अन्वेषणीय है । इन कारिकाओं में कौन सी धातु अनिट् अथवा सेट् है, का परिगणन किया है । वामन ने काशिकावृत्ति ७।२1१० में इन कारिकाओं की व्याख्या की है । १५ धातुपाठ के व्याख्याता भगवान् पाणिनि के धातुप्रवचनकाल से लेकर अद्य यावत् अनेक प्राचार्यों ने पाणिनीय धातुपाठ के ध्याख्यान लिखे, इस में कोई सन्देह २० नहीं । किन्तु उनमें से कतिपय व्याख्याग्रन्थ ही सम्प्रति ज्ञात अथवा उपलब्ध हैं । बहुतों के तो नाम भी करालकाल के गह्वर में विलीन हो गए। हम यहां उन धातुवृत्तिकारों का वर्णन करेंगे, जिनके नाम अथवा ग्रन्थ परिज्ञात हैं । १. द्र० अमरीका सर्वस्य भाग १, पृष्ठ ८ – अर्ब पर्ब बर्ब कर्ब खर्ब गर्न मर्ब सर्व च गतौ इत्ययमपि भीमसेनेन पवर्गान्तप्रकरणे पठित: । मुद्रित ग्रन्थ अर्व पर्व आदि अन्तस्थ वकारवान् पाठ छपा है, वह चिन्त्य है । २५ २. यमिर्वमन्तेष्वनिडेक इष्यते इति व्याघ्रभूतिना व्याहृतस्य । शब्दकौस्तुभ १ । १ । आ० २, पृष्ठ २२ । तपिं तिपिमिति व्याग्रभूतिवचनविरोधाच्च । धातुवृत्ति पृष्ठ ८२ ॥ ३. व्याकरण दर्शनेर इतिहास, पृष्ठ ४४४ । ३०
SR No.002283
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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