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________________ व्याकरणशास्त्र की उत्पत्ति और प्राचीनता ६१ ब्राह्मण' मुण्डकोपनिषद्' और महाभारत आदि अनेक ग्रन्थों में मिलता है । षडङ्ग शब्द से व्याकरण का निर्देश शिक्षा, व्याकरण, निरुक्त, छन्द, कल्प और ज्योतिष इन ६ वेदाङ्गों का षडङ्ग शब्द से निर्देश गोपथ ब्राह्मण, बौधायन आदि ५ धर्मशास्त्र' और रामायण आदि में प्रायः मिलता है । पतञ्जलिमुनि ने भी ब्राह्मणेन निष्कारणो धर्मः षडङ्गो वेदोऽध्येयो ज्ञेयश्च' यह आगमवचन उद्धृत किया है ।" सम्प्रति उपलभ्यमान ब्राह्मणों से भी अति प्राचीन देवल ने व्याकरण की षडङ्गों में गणना की है । ब्राह्मण ग्रंथों में षडङ्ग शब्द से कहीं आत्मा का भी ग्रहण होता है ।" व्याकरणान्तर्गत कतिपय संज्ञाओं की प्राचीनता इस प्रकार न केवल व्याकरणशास्त्र की प्राचीनता सिद्ध होती है, अपितु पाणिनीयतन्त्र में स्मृत अनेक अन्वर्थ संज्ञाएं भी प्रति प्राचीन प्रतीत होती हैं । उन में ये कुछ संज्ञाओं का निर्देश गोपथ ब्राह्मण में मिलता है । यथा १५ १. गो० ब्रा० पू० १ २४ ॥ २. मुण्डको ० ११५ ॥ ३. सर्वार्थानां व्याकरणाद् वैयाकरण उच्यते । तन्मूलतो व्याकरणं व्याकरोतीति तत्तथा ॥ महाभारत उद्योग० ४२।६० ।। ४. षडङ्गविदस्तत् तथाधीमहे । गो० ब्रा० पू० १।२७ ॥ ५. बौघा ० धर्म ० २।१४ । २ । गौतम धर्म० १५। २८ ।। · २० ६. नाशडङ्गविदत्रासीन्नाव्रतो नाबहुश्रुतः । रामा० बाल० १४ । २१ । ७. आगामो वेद इति वैयाकरणाः । द्र० - शिवरामेन्द्रकृत महाभाष्य की रत्नप्रकाश पत्रा ५, सरस्वतीभवन काशी का हस्तलेख, पाण्डीचेरी से मुद्रित भाग १, पृष्ठ ३५ । । स्मृतिरिति मीमांसकाः । तन्त्रवार्तिक पूना संस्क० पृष्ठ २६५, पं० १२ । न्यायसुधा पृष्ठ २८४, पं० ६ ॥ २५ ८. महाभाष्य श्र० १, पा० १ ० १ ॥ ६. ‘देवल:—– शिक्षाव्याकरणनिरुक्तछन्दकल्पज्योतिषाणि' । वीरमित्रोदय, परिभाषा प्रकाश, पृष्ठ २० पर उद्धृत । १०. षड्विधो वै पुरुष: षडङ्गः । ऐ० ब्रा० २।३६ ॥ षडङ्गोऽयमात्मा षड्विधः । शां० ब्रा० १३।३ ॥
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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