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________________ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास अपनी पूर्णता को प्राप्त हो चुका था । प्रकृति-प्रत्यय,' धातु-उपसर्ग, और समासघटित पूर्वोत्तरपदों का विभाग पूर्णतया निर्धारित हो चुका था। वाल्मीकीय रामायण से विदित होता है कि महाराज राम के काल में व्याकरणशास्त्र का सुव्यवस्थित पठनपाठन होता था।' भारत-युद्ध के समकालिक यास्कीय निरुक्त में व्याकरणप्रवक्ता अनेक वैयाकरणों का उल्लेख मिलता है। समस्त नाम शब्दों की धातुओं से निष्पत्ति दर्शाने वाला मूर्धाभिषिक्त शाकटायन व्याकरण भी यास्क से पूर्व बन चुका था। महाभाष्यकार पतञ्जलि मुनि के लेखानुसार अत्यन्त पुराकाल में व्याकरणशास्त्र का पठन-पाठन प्रचलित था।' १० इन प्रमाणों से इतना सुव्यक्त है कि व्याकरणशास्त्र की उत्पत्ति अत्यन्त प्राचीन काल में हो गई थी। हमारा विचार है कि-'त्रता युग के प्रारम्भ में व्याकरणशास्त्र ग्रन्थ रूप में सुव्यवस्थित हो चका था। _ व्याकरण शब्द की प्राचीनता १५ शब्दशास्त्र के लिये व्याकरण शब्द का प्रयोग रामायण, गोपथ १. वाजिनीऽवती। ऋ० पद० १।३।१० ॥ प्रास्तृऽभि । ऋ० पद० • १८४ । महिऽत्वम् । ऋ० पद० १।८।५ ॥ २. सम्ऽजग्मानः । ऋ० पद० १६७ ॥ प्रतिरन्ते । ऋ० पद० ११११३।१६ । प्रतिऽहर्यते । ऋ० पद० ८।४३।२ ।। २० ३. रुद्रवर्तनी इति रुद्रऽवर्तनी । ऋ० पद० १।३।३ । पतिऽलोकम् । ऋ० पद. १०।८।४३ ॥ __. नूनं व्याकरणं कृत्स्नमनेन बहुधा श्रुतम् । बहु व्याहरतानेन न किञ्चिदपभाषितम् ॥ किष्किन्धा० ३।२६ ॥ हनुमान का इतना वाक्पटु होना युक्त ही था,क्योंकि हनुमान् का पिता वायु शब्दशास्त्र-विशारद था (वायु पु० २०४४)। २५ ५. न सर्वाणीति गाग्र्यो वैयाकरणानां चैके। निरुक्त १॥१२॥ ६. अनुशाकटायनं वैयाकरणाः, उपशाकटायनं वैयाकरणाः । काशिका १॥४॥८६, ८७। ७. तत्र नामान्याख्यातजानीति शाकटायनो नरुक्तसमयश्च । निरु० १॥१२॥ ८. पुराकल्प एतदासीत, संस्कारोत्तरकालं ब्राह्मणा व्याकरणं स्माधीयते । 1. महाभाज्य प्र. १, पा० १, प्रा० १॥ ६. रामायण किष्किन्धा० ३।२६ ॥
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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