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________________ ६६६ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास ग्रन्थ महाराज भोज के काल में रचा है।' महाराज भोज का राज्यकाल सं० १०७८-१११० तक है। प्रभाचन्द्र ने आराधनाकयाकोश भोज के उत्तराधिकारी जयदेवसिंह के राज्यकाल में लिखा है।' शब्दाम्भोजभास्करन्यास की रचना भी महाराज जयदेवसिंह के काल ५ में ही हुई, यह उसकी पुष्पिका के लेख से विदित होता है। ... ____ इन प्रमाणों से स्पष्ट है कि प्रभाचन्द्र का काल सामान्यतया सं० १०७५-११२५ तक मानना चाहिये । ४-भाष्यकार ? (सं० १२०० वि० से पूर्व) ... आर्य श्रुतकीति अपनी पञ्चवस्तु प्रक्रिया के अन्त में लिखता - 'वृत्तिकपाटसंपुटयुगं भाष्योऽथ शय्यातलम'। इस से विदित होता है कि जैनेन्द्र व्याकरण पर कोई भाष्य नाम्नी व्याख्या लिखी गई थी। इसके लेखक का नाम अज्ञात है, और यह भाष्य भी सम्प्रति अनुपलब्ध है। १५ आर्य श्रुतकीर्ति का काल विक्रम की १२ वीं शती का प्रथम चरण है, यह हम इसी प्रकरण में अनुपद लिखेंगे । अतः उसके द्वारा स्मृत भाष्य का रचयिता वि० सं० १२०० से पूर्व भावी होगा, इतना निश्चित है। , ५-महाचन्द्र (२० वीं शताब्दी वि०) ... २० पण्डित महाचन्द्र ने लघु जैनेन्द्र नाम्नी एक वृत्ति लिखी है। यह ग्रन्थ विक्रम की २० वीं शताब्दी का है। यह वृत्ति अभयनन्दी की महावृत्ति के आधार पर लिखी गई है। १. श्रीमद्भोजदेवराज्ये श्रीमद्धारानिवासिना परापरपरमेष्ठिपदप्रमाणाजितामलपुण्यनिराकृतनिखिलमलकलकेन , श्रीमत्प्रभाचन्द्रपण्डितेन २५ निखिलप्रमाणप्रमेयस्वरूपोद्योतपरीक्षामुखपदमिदं विवृतमिति । __२ श्रीमज्जयदेवसिंहराज्ये श्रीमद्धारानिवासिना ... श्रीमत्प्रभाचन्द्रपण्डितेन आराधनासत्कथाप्रबन्धः कृतः। ., ३. श्रीजयसिंहदेवराज्ये श्रीमद्धारानिवासिना . परापरपरमेष्ठिप्रणामोपाजितामलपुण्यनिराकृतनिखिलमलकलङ्केन श्रीमत्प्रभावचन्द्रपण्डितेनु । शब्दा३० म्भोजभास्करपुष्पिका नो लेख । 'श्री जैन सत्यप्रकाश' वर्ष ७ दीपोत्सवी अंक । पृष्ठ ८३ टि. ३४।
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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