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________________ ६१८ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास 'कालापक आम्नाय का अध्ययन करने वाले' इस अर्थ में उत्पन्न प्रत्यय का लुक् नहीं होता ।' यह व्याख्या अशुद्ध है । क्योंकि 'चरणाद्धर्माम्नाययोः२ की व्याख्या में समस्त टीकाकार 'अाम्नाय' का अर्थ 'वेद' करते हैं। अतः कालापक आम्नाय सूत्रग्रन्थ नहीं हो सकता। सूत्रत्व अंश के न होने पर वह वार्तिक का प्रत्युदाहरण नहीं बन सकता। 'कालापकाः' के साथ पढ़े हुए ‘माहावातिकः' प्रत्युदाहरण की प्रकृति 'महावातिक' शब्द स्पष्ट सूत्रग्रन्थ का वाचक है। इस विवेचना से स्पष्ट है कि महाभाष्य में निर्दिष्ट 'कलापक' १० शब्द किसी सूत्रग्रन्थ का वाचक है, और वह कातन्त्र व्याकरण ही है। भारतीय गणना के अनुसार महाभाष्यकार पतञ्जलि का काल विक्रम से लगभग २००० वर्ष पूर्व है, हम पूर्व लिख चुके हैं। ५-महाभाष्य और वार्तिकपाठ में प्राचीन प्राचार्यों की अनेक संज्ञाएं उपलब्ध होती हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं १. कलापिना प्रोक्तमधीयते कालापाः कलापिनोऽण् । नान्तस्य टिलोपे सब्रह्मचारीत्यौपसंख्या निकष्टिलोप: । ततस्तदधीते इत्यण, प्रोक्ताल्लुक । कालापकानामाम्नाय इति गोत्रचरणाद् वुञ् कालापकम् । ततस्तदधीते इत्यण तस्य लुङ् न भवति । पदमञ्जरी ४।२।६।। कलापिना प्रोक्तमधीयते कालापास्तेषामाम्नायः कालापकम् । भाष्यप्रदीपोद्योत ४ । २। ६५॥ हरदत्त और नागेश की भूल 'कातन्त्रव्याकरण-विमर्श' के 'प्रास्ताविकम' (पृष्ठ 'ई') में वाराणसेय सं० वि० वि० के अनुसन्धान विभाग के अध्यक्ष भगीरथप्रलाद त्रिपाठी ने दोहराई है। २. महाभाष्य ४ । ३ १२० ॥ ३. 'कातन्त्रव्याकरण-विमर्श' के लेखक जानकीप्रसाद द्विवेद ने अपने २५ ग्रन्थ की भूमिका (पृष्ठ ७) में हमारे लेख को नाम निर्देश पुरस्सर आदरणीय माना है। इसी पृष्ठ की टि० १ के अन्त 'कातन्त्रव्याकरण-विमर्श' के प्रास्ताविकम' (पृष्ठ 'इ) में पं० भगीरथप्रसाद त्रिपाठी की जिस भूल का संकेत किया है, उस से विदित होता है कि उन्होंने जिस ग्रन्थ पर 'प्रास्ताविकम्' लिखा, उसे भी भले प्रकार नहीं देखा । विना देखे ही ३० 'प्रास्ताविकम्' लिख दिया। ठीक ही कहा है-गतानुगतिको लोको न लोकः पारमार्थिकः । ४. देखो-पूर्व पृष्ठ ३६५-३६८ ।
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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