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________________ प्राचार्य पाणिनि से अर्वाचीन वैयाकरण दो खण्ड हैं (यह खण्डविभाग अन्यत्र नहीं मिलता)। उस में शिव के कलापित्व का वर्णन करते हुए कलाप का अर्थ शब्द ध्वनि सम्बन्धिशास्त्र, और कलापि का अर्थ शिव दिया है।' काशकृत्स्नतन्त्र का संक्षप कातन्त्र इस ग्रन्थ के प्रथम संस्करण के प्रकाशित होने के अनन्तर काश- ५ कृत्स्न धातुपाठ कन्नड टीका सहित प्रकाश में आया। कन्नड टीका में काशकृत्स्न के लगभग १३५ सूत्र भी उपलब्ध हो गये हैं। काशकृत्स्न घातुपाठ और कातन्त्र धातुपाठ की पारस्परिक तुलना करने से स्पष्ट विदित होता है कि कातन्त्र धातूपाठ काशकृत्स्न धातुपाठ का संक्षेप है। इसी प्रकार काशकृत्स्न के उपलब्ध सूत्रों की कातन्त्रसूत्रों से १० तुलना करने पर भी यही परिणाम निकलता है कि कातन्त्र काशकृत्स्नतन्त्र का ही संक्षेप है। दोनों तन्त्रों में धातुपाठ की समानानुपूर्विता (कातन्त्र की संक्षिप्तता के कारण छोड़ी गई धातुओं के अतिरिक्त), तथा दोनों तन्त्रों के सूत्रों की समानता, अनुबन्ध, और संज्ञाओं की समानता तथा विशेषकर दोनों धातुपाठों में समानरूप से पढ़ी गई छान्दस घातुएं (पाणिनीय मत में), और स्वरानुरोध से संयोजित 'न्' आदि अनुबन्ध इस मत के सुदृढ़ प्रमाण हैं कि कातन्त्र काशकृत्स्नतन्त्र का संक्षेप है। . काल कातन्त्र व्याकरण का रचनाकाल अत्यन्त विवादास्पद है। अतः २० हम उसके कालनिर्णय में जो प्रमाण उपलब्ध हुए हैं, उन सब का क्रमशः निर्देश करते हैं २५ 3. Kalapa is Sastia Made of Sounds and Siva is called कलापिन । द्र०-वी० राघवन का An puipue two kanda version of the matsya puran. लेख, पुराण पत्रिका १।१॥ २. इनके लिये देखिए- हमारी 'काशकृत्स्न व्याकरण और उसके उपलब्ध सूत्र' पुस्तिका। ३. द्र०-हमारी 'काशकृत्स्न व्याकरण और उसके उपलब्ध सूत्र' पुस्तिका पृ०१७॥ ४. बही, काशकृत्स्न सूत्रों की व्याख्या के साथ निर्दिष्ट कातन्त्र के तुलनात्मक संकेत, तथा पृष्ठ १६ । ५. यथा मन् यन् विकरणों में।
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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