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७७ श्राचार्य पाणिनि से अर्वाचीन वैयाकरण
व्याघ्रपाद द्वितीय कृत
यशोभद्र
श्रार्यवज्रस्वामी भूतबलि इन्द्रगोमी (बौद्ध) कृत
17
वाग्भट्ट
श्रीदत्त
चन्द्रकीर्ति
प्रभाचन्द्र
धमसिंह
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सिद्धनन्दि भद्रेश्वरसूरि
श्रुतपाल शिवस्वामी वा शिवयोगी
बुद्धिसागर केशव
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वाग्भट्ट (द्वितीय),, विनीतकीति विद्यानन्द
31
11
दशपादी वैयाघ्रपद्य व्याकरण
जैन व्याकरण
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31
ऐन्द्र व्याकरण
जैन
समन्तभद्र
जैन
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बौद्ध व्याकरण
बुद्धिसागर
केशवी
विद्यानन्द
यम
वरुण
सौम्य
अष्टधातु "
जैन
दीपक
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६०६
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१५
२०
इन ग्रन्थकारों का उल्लेख करके पं० गुरुपद हालदार ने अपने २५ इतिहास के पृष्ठ ४४९ पर लिखा है कि डा० कीलहानं और पं० सूर्यकान्त के मत में जैन नाम कल्पित है । हालदार महोदय इन्हें कल्पित नहीं मानते ।
प्राग्देवनन्दी – जैन व्याकरणकार
जैनेन्द्र व्याकरण के प्रवक्ता देवनन्दी प्रपरनाम पूज्यपाद ने अपने ३० व्याकरण में भूतबलि, श्रीदत्त, यशोभद्र, प्रभाचन्द्र, सिद्धसेन श्रौर