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________________ पाणिनीय व्याकरण के प्रक्रिया-ग्रन्थकार में 'कुचमर्दन' नामक ग्रन्थ लिखा है । यह ग्रन्थ सम्प्रति सम्पूर्ण उपलब्ध नहीं होता। इसका कुछ अंश चौखम्बा संस्कृत सीरीज काशी से सं० १९९१ में पुस्तकाकार (बुक साइज) प्रकाशित प्रौढमनोरमा भाग ३ के अन्त में छपा है। पण्डितराज ने भट्टोजि दीक्षित कृत 'शब्दकौस्तुभ' के खण्डन में भी एक ग्रन्थ लिखा था, उसका उल्लेख हम ५ पूर्व पृष्ठ ५३५ पर कर चुके हैं। . __ पण्डितराज जगन्नाथ के विषय में हम पूर्व पृष्ठ ५३५, ५३६ पर लिख चुके हैं। सिद्धान्त-कौमुदी अनुसारी पाणिनीयसूत्र व्याख्या-मणलूरवीरराघवाचार्य ने भट्टोजि दीक्षित विरचित सिद्धान्त कौमुदी में १० उदाहृत उदाहरणों के प्रयोग विविध ग्रन्थों में दर्शाने के लिये पाणिनीय सूत्र व्याख्या (सोदाहरण श्लोका) का संकलन किया है। यह ग्रन्थ मद्रास गवर्नमेण्ट ओरियण्टल सीरिज में दो भागों में प्रकाशित हुआ है। यद्यपि यह सिद्धान्त-कौमुदी की व्याख्या नहीं है, पुनरपि तद्गत उदाहरणों के प्रयोग-परिज्ञान के लिये उपयोगी है । इसी १५ कारण इस का यहां निर्देश किया है। ६. नारायण भट्ट (सं० १६१७-१७३३ वि०) केरल देश निवासी नारायण भट्ट ने 'प्रक्रियासर्वस्व' नाम का प्रक्रियाग्रन्थ लिखा है । इस ग्रन्थ में २० प्रकरण हैं।' प्रक्रियासर्वस्व २० के अवलोकन से विदित होता है कि नारायण भट्ट ने किसी देवनारा यण नाम के भूपति की प्राज्ञा से यह ग्रन्थ लिखा था। प्रक्रियासर्बस्व के टीकाकार केरल वर्मदेव ने लिखा है कि नारायण भट्ट ने यह ग्रन्थ ६० दिनों में रचा था। इस ग्रन्थ में अष्टाध्यायी के समस्त सूत्र यथा १. इह संज्ञा परिभाषा सन्धिः कृत्तद्धिताः समासाश्च । स्त्रीप्रत्ययाः सुबर्थाः सुपां विधिश्चात्मनेपदविभागः तिङापि च लार्थविशेषाः सन्नन्तयङ्यङ्लुकश्च सुब्धातुः । न्याय्यो धातुरुणादिश्छान्दसमिति सन्तु विंशतिखण्डाः ॥ ७॥ भाग १, पृष्ठ ३। २. प्रारम्भिक श्लोक २, ४, ८ । ३............. प्रक्रियासर्वस्वं स मनीषिणामचरमः षष्टिदिननिर्ममे। भूमिका, भाग २, पृष्ठ २ पर उद्धृत ।
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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