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________________ काशिका के व्याख्याता ५७६ धर्मराज यज्वा का शिष्य था । इसने कंयटविरचित महाभाष्य प्रदीप की टीका लिखी थी । देखो - पूर्व पृष्ठ ४६४ । I रामचन्द्र अध्वरी रंगनाथ यज्वा का चचेरा भाई था । रामचन्द्र का दूसरा नाम रामभद्र भी था । रामचन्द्र के पिता का नाम यज्ञराम • दीक्षित और पितामह का नाम नल्ला दीक्षित था । यह कुल श्रोतयज्ञों के अनुष्ठान के लिए प्रत्यन्त प्रसिद्ध रहा है । इनका पूर्ण वंश हम पृष्ठ ४६४ पर दे चुके हैं । ५ वामनाचार्य सूनु वरदराज कृत 'ऋतुवैगुण्यप्रायश्चित्त' के प्रारम्भ में रंगनाथ यज्वा को चोलदेशान्तर्गत ' करण्डमाणिक्य' ग्राम का रहनेवाला और पदमञ्जरी की 'मकरन्द' टीका तथा सिद्धान्तकौमुदी की १० 'पूर्णिमा' व्याख्या का रचयिता लिखा है ।' काल - तञ्जीर के पुस्तकालय के सूचीपत्र में रङ्गनाथ का काल १७ वीं शताब्दी लिखा है । रङ्गनाथ यज्वा के चचेरे भाई रामचन्द्र ( = रामभद्र ) यज्वा विरचित उणादिवृत्ति तथा परिभाषावृत्ति की व्याख्या से विदित होता है कि यह तञ्जौर के 'शाहजी' नामक राजा १५ का समकालिक था ।' शाहजी के राज्यकाल का प्रारम्भ सं० १७४४ से माना जाना हैं । अतः रंगनाथ यज्वा का काल भी विक्रम की १८ वीं शताब्दी का मध्य होगा । २- शिवभट्ट शिवभट्टविरचित पदमञ्जरी की 'कुकुम विकास' नाम्नी व्याख्या २० का उल्लेख प्राफेक्ट के बृहत् सूचीपत्र में उपलब्ध होता है । हमें इसका अन्यत्र उल्लेख उपलब्ध नहीं हुआ । इसका काल अज्ञात है । १. येनकरण्डमाणिक्यग्रामरत्ननिवासिना । रङ्गनाथाध्वरीन्द्रेण मकरन्दाभिधा कृता । व्याख्या हि पदमञ्जर्या: कौमुद्याः पूर्णिमा तथा ।। मद्रास राजकीय २५ हस्तलेख पुस्तकालय सूचीपत्र भाग खण्ड C पृष्ठ ८०८, ग्रन्थाङ्क ६३४ C २. भोजो राजति भोसलान्ययमणिः श्रीशाह पृथिवीपतिः । ...... रामभद्रमस्त्री तेन प्रेरितः करुणाब्धिना । तञ्जीर पुस्तकालय का सूचीपत्र, भाग १०, पृष्ठ ४२३९, ग्रन्थाङ्क ५६७५ ।
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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