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________________ काशिका के व्याख्याता ५६६ द्दीपन' नाम से निर्देश मिलता है। अतः अमर चन्द्र सूरि निर्दिष्ट तन्त्रोद्योत भी न्यासोद्योत ही है, ऐसा हमारा विचार है । यदि यह विचार ठीक हो तो मल्लिनाथ का काल वि० सं० १२६४ से पूर्व है इतना निश्चित मानना होमा । क्योंकि हैम बृहद्वृत्त्यवचूर्णि का लेखन काल वि० सं० १२६४ है।' ४-नरपति महामिश्र (सं० १४००-१४५० वि०) नरपति महामिश्र नाम के विद्वान् ने न्यास पर एक व्याख्या लिखी है, इसका नाम न्यासप्रकाश है । इसके प्रारम्भिक भाग का एक हस्तलेख जम्मू के रघुनाथ मन्दिर के संग्रह में विद्यमान है । देखोसूचीपत्र, पृष्ठ ४१ । ग्रन्थकार ने स्वग्रन्थ के प्रारम्भ में इस प्रकार लिखा हैनरपतिकृतिरेषा कामिनीनन्दिनीव, गुरुतमकृततोषा नाशिताशेषदोषा। सुललितगतिबन्धा निजिताशेषतेजा, जयति जगदुपेता मालिनी जाह्नवीव ।। शिवं प्रणम्य देवेशं तथा शिवपति शिवाम् । प्रकाश: क्रियते न्यासे महामित्रेण धीमता॥ विद्यापतेः प्रेरणकारणेन, कृतो मया व्याकरणप्रकाशः । यद्यत्र किञ्चित्स्खलनं भवेन्मे, क्षन्तव्यमीषद्गुणिनां वरेस्तत् ।। इस उल्लेख से विदित होता है कि महामिश्र ने किसी विद्यापति नाम के विशिष्ट व्यक्ति की प्रेरणा से 'न्यासप्रकाश' लिखा था। पुरुषोत्तमदेवीय परिभाषावृत्ति के सम्पादक दिनेशचन्द्र भट्टाचार्य ने महामिश्र का काल १४००-१४५० ई० माना है।' ५-पुण्डरीकाक्ष विद्यासागर (वि० १५ वीं शती) पुण्डरीकाक्ष विद्यासागर नाम के किसी विद्वान् ने न्यास की टीका २५ १. द्र०-पृष्ठ ५६७, पं० १२ । २. संवत १२६४ वर्षे श्रावणशुदि ३ रवी श्री जयानन्द सूरिशिष्येणामरचन्द्रेणाऽऽत्मयोगाऽवचूर्णिकाया: प्रथम पुस्तिका लिखिता । हैम बृहद्वृत्त्यवचूर्णि, पृष्ठ २०७॥ ३. भूमिका, पृष्ठ १६ ॥
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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