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________________ ५५४ संस्कृत व्याकरण - शास्त्र का इतिहास 'लालपुर' ग्राम में सं० १९११ कार्तिक शुक्ला ५ को हुआ था । इन के पिता का नाम नेकराम शर्मा था । आप सनाढ्य ब्राह्मणवंशी थे । १२ वर्ष की अवस्था में इन का उपनयन हुआ । घर में हिन्दी उर्दू श्रौर अपने ज्येष्ठ भ्राता धर्मदत्त से कुछ संस्कृत अध्ययन किया ५ विशेष अध्ययन - स्वामी दयानन्द सरस्वती ने प्रार्ष ग्रन्थों के पठन-पाठन के लिये सं० १६२६ में फर्रुखाबाद में वहां के सेठ निर्भय - राम के सहयोग से एक संस्कृत पाठशाला प्रारम्भ की। उस में सं० १९२९ को सत्रह वर्ष की अवस्था में भीमसेन उस पाठशाला में भरती हुए। यहां उन्होंने महाभाष्य पर्यन्त पाणिनीय व्याकरण का अध्ययन किया । CID F 1758 १० " स्वामी दयानन्द सरस्वती के साथ पं० भीमसेन का सं० १६२९ में जो सम्पर्क हुआ, वह उन के निधन पर्यन्त विद्यमान रहा। पं० भीमसेन स्वामी दयानन्द सरस्वती के वेदभाष्य की संस्कृत का भाषानुवाद तथा छपने वाले ग्रन्थों का संशोधन करते रहे | स्वामी जी के निधन के पश्चात् उनके द्वारा स्थापित परोपकारिणी सभा के १५ अधीन कार्य करते हुए स्वामी जी द्वारा लिखे गये प्रमुद्रित ऋग्वेद और यजुर्वेद भाष्य का संशोधनादि कार्य करते रहे । सं० १९५७ तक आप का स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा प्रवर्तित प्रार्यसमाज के साथ संम्बन्ध रहा । सं० १९५५ में चूरु ( रामगढ़ - राजस्थान) में अग्निष्टोम याग कराया । इसमें पशु के स्थान में पिष्टपशु का उपयोग किया । २० इसी घटना से आर्यसमाज से आप का सम्बन्ध टूट गया । तदनन्तर आपने परम्परागत पौराणिक धर्म का मण्डन आरम्भ कर दिया । आप का स्वर्गवास ६४ वर्ष की अवस्था में सं० १९७४ चैत्र कृष्णा १२ को 'नरवर' में हुआ । ग्रन्थ निर्माण - आप ने दोनों पक्षों में रहते हुए अनेक ग्रन्थों का २५ प्रणयन किया और संस्कृत के अनेक दुर्लभ ग्रन्थों को प्रकाशित किया । इनकी सूची प्रति विस्तृत है । ४. ज्वालादत्त शर्मा ( ? ) हमारे पुस्तकालय में अष्टाध्यायी की एक छपी हुई अधूरी पुस्तक
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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