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अष्टाध्यायी के वृत्तिकार
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विदित होता है कि रामचन्द्र ने यह नागोजी की प्रेरणा से लिखी थी।' यह नागोजी सम्भवतः प्रसिद्ध वैयाकरण नागेश भट्ट हो । एक 'रामचन्द्र शेषवंशीय नागोजी भट्ट का पुत्र है । वह महाभाष्य व्याख्याकार शेष नारायण का शिष्य है । रामचन्द्र और नागोजी नाम की उभयत्र समानता होने पर भी पुत्र और प्रेरक सम्बन्ध के भिन्न होने से ये पृथक् व्यक्ति हैं, यह निर्विवाद है ।
यह रामचन्द्र पूर्व संख्या २६ पर निर्दिष्ट (पृष्ठ ५४२) रामचन्द्र भट्ट तारे से भिन्न व्यक्ति हैं अथवा अभिन्न, यह विचारणीय है।
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३८. सदानन्द नाथ सदानन्द नाथ ने अष्टाध्यायी की 'तत्वदीपिका' नाम्नी व्याख्या लिखी है। इस वृत्ति का निर्देश 'योगप्रचारिणी गोरक्षा टीला काशी' से प्रकाशित श्रीनाथग्रन्थसूची के पृष्ठ १६ पर मिलता है । सूचीपत्र के अनुसार यह जोधपुर दुर्ग पुस्तकालय में संख्या २७५७।१३ पर निर्दिष्ट है, अर्थात् यह वृत्ति जोधपुर में सुरक्षित है ।
३६. पाणिनीय-लघुचि यह वृत्ति श्लोकबद्ध है। देखो-ट्रिवेण्डम पुस्तकालय का सूचीपत्र भाग ५, ग्रन्थांक १०५।
श्लोकबद्ध पाणिनीयसूत्रवृत्ति का एक हस्तलेख 'मैसूर के राजकीय २० पुस्तकालय' में भी है। देखो-सन् १९२२ का सूचीपत्र पृष्ठ ३१५, ग्रन्याङ्क ४७५० । ये दोनों ग्रन्थ एक ही हैं, अथवा पृथक्-पृथक् यह अज्ञात है।
__पाणिनीयसूत्र-लघु [वृत्ति विवृत्ति यह पूर्वोक्त लघुवृत्ति की श्लोकबद्ध टीका है । यह टीका राम- २५ १. नागोजीविदुषा प्रोक्तो रामचन्द्रो यथामति । ..
शब्दशास्त्रं समालोक्य कुर्वेऽहं वृत्तिसंग्रहम् ॥ २. इसने सिद्धान्तकौमुदी की व्याख्या लिखी थी। इस का वर्णन पागे, होगा।