________________
५४८
संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास
भवन के संग्रह में विद्यमान है । देखो-संग्रह सं० १९ (पुराना) वेष्टन संख्या १३ ।
रुद्रधर मैथिल पण्डित है । इसका काल अज्ञात है।
५
३५. उदयन उदयनकृत 'मितवृत्त्यर्थसंग्रह' नाम्नी वृत्ति का एक हस्तलेख जम्मू के रघुनाथमन्दिर के पुस्तकालय में है । देखो--सूचीपत्र पृष्ठ ४५ ।
इस वृत्ति के उक्त हस्तलेख के प्रारम्भ में निम्न श्लोक मिलता
मुनित्रयमतं ज्ञात्वा वृत्तीरालोच्य यत्नतः ।
करोत्युदयनः साधुमितवृत्यर्थसंग्रहम् ॥ उदयन ने इस ग्रन्थ में काशिकावृत्ति का संक्षेप किया है । ग्रन्थकार का देश काल अज्ञात है। यह नैयायिक उदयन से भिन्न व्यक्ति
३६. उदयङ्कर मट्ट उदयङ्कर भट्ट नाम के किसी वैयाकरण ने 'परिभाषाप्रदीपाचि' नामक एक ग्रन्थ लिखा है । उसके आदि में पाठ है
कृत्वा पाणिनिसूत्राणां मितवृत्त्यर्थसंग्रहम् ।
परिभाषाप्रदीपाचिस्तत्रोपायो निरूप्यते ॥ इससे ज्ञात होता है कि उदयङ्कर भट्ट ने भी पाणिनीय सूत्र पर 'मितवृत्त्यर्थसंग्रह' नाम्नी कोई व्याख्या लिखी थी।
'परिभाषाप्रदीपाचि' के विषय में परिभाषा पाठ के प्रबक्ता और व्याख्याता' नामक २६ वें अध्याय में लिखेंगे।
३७. रामचन्द्र रामचन्द्र ने अष्टाध्यायी की एक वृत्ति लिखी हैं। उसमें उसने भी काशिकावृत्ति का संक्षेप किया है। इसके प्रारम्भ के श्लोक से