________________
अष्टाध्यायो के वृत्तिकार
५४७ संस्कारविधि, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, ऋग्वेदभाष्य, यजुर्वेदभाष्य चतुर्वेदविषयसूची आदि मुख्य हैं । स्वामी दयानन्द के समस्त ग्रन्थों का वर्णन हमने 'ऋषि दयानन्द सरस्वती के ग्रन्थों का इतिहास नामक ग्रन्थ में विस्तार से किया है। यह ग्रन्थ सन् १९५० में प्रथम वार प्रकाशित हुआ था। अभी-अभी इस का परिष्कृत तथा ५ परिवर्धित द्वितीय संस्करण प्रकाशित हुआ है।' उणादिकोष की वृत्ति का वर्णन हमने 'उणादिसूत्रों के प्रवक्ता और व्याख्याता' नामक २४ वें अध्याय में किया है ।
अब हम उन वृत्तिकारों का वर्णन करते हैं, जिनका काल अज्ञात १०
अज्ञातकालिक वृत्ति-ग्रन्थ
३३. नारायण सुधी नारायण सुधी विरचित 'अष्टाध्यायी-प्रदीप' अपरनाम 'शब्दभूषण' के हस्तलेख मद्रास, अडियार और तजौर के राजकीय पुस्त- १५ कालयों में विद्यमान हैं । मद्रास के राजकीय पुस्तकालय के सूचीपत्र भाग ४ खण्ड A. पृष्ठ ४२७५ पर निर्दिष्ट हस्तलेख के अन्त में निम्न पाठ है
'इति श्रीगोविन्दपुरवास्तव्यनारायणसुधीविरचिते सवात्तिकाष्टाध्यायीप्रदीपे शब्दभूषणे अष्टमाध्यायस्य चतुर्थः पादः' । २०
यह व्याख्या बहुत विस्तृत है । इसमें उपयोगी वार्तिकों का भी . समावेश है । तृतीयाध्याय के द्वितीय पाद के अनन्तर उणादिसूत्र और षष्ठाध्याय के द्वितीयपाद के पश्चात् फिट्सूत्र भी व्याख्यात हैं ।
नारायण सुधी का देश काल अज्ञात है।
३४. रुद्रधर रुद्रधरकृत अष्टाध्यायीवृत्ति का एक हस्तलेख काशी के सरस्वती १. रामलाल कपूर ट्रस्ट, बहालगढ़ (सोनीपत-हरयाणा) से प्राप्य ।