SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 583
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५४६ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास रचना उक्त तिथि से पूर्व प्रारम्भ हो गई थी।' एक अन्य पत्र से विदित होता है कि २४ अप्रैल सन् १८७६ तक अष्टाध्यायी-भाष्य के चार अध्याय बन चके थे। चौथे अध्याय से आगे बनने का उल्लेख उनके किसी उपलब्ध पत्र में नहीं मिलता। स्वामी दयानन्द के अनेक पत्रों से विदित होता है कि पर्याप्त ग्राहक न मिलने से वे इसे अपने जीवनकाल में प्रकाशित नहीं कर सके । स्वामीजी की मृत्यु के कितने ही वर्ष पश्चात् उनकी स्थानापन्न परोपकारिणी सभा ने इसके दो भाग प्रकाशित किये, जिनमें तीसरे अध्याय तक का भाष्य है। चौथा अध्याय अभी (सन् १९८६) तक प्रकाशित नहीं हुआ। इसके प्रथम १० भाग (अ० १११-२ तथा अ० २) का सम्पादन डा० रघुवीर एम. ए. ने किया है । तृतीय और चतुर्थ अध्याय का सम्पादन हमारे पूज्य प्राचार्य श्री पं० ब्रह्मदत्त जी जिज्ञासू ने किया है। इसमें मैंने भी सहायक रूप से कुछ कार्य किया है। इस अष्टाध्यायी-भाष्य के विषय में हमने 'ऋषि दयानन्द सरस्वती के ग्रन्थों का इतिहास' ग्रन्थ १५ में विस्तार से लिखा है, अतः विशेष वहीं देखें। पूज्य आचार्य श्री पं० ब्रह्मदत्त जी जिज्ञासु ने चौथे अध्याय की प्रेस कापी बनाकर सन १९४२ में परोपकारिणी सभा को दे दी थी, परन्तु उस ने उसे अभी तक (सन् १९८३ पर्यन्त) प्रकाशित नहीं किया। अब सुनने में आया है कि वह प्रेस कापी गुम हो गई है । २० दीर्घसूत्रिता का यही परिणाम होता है । विशेष-यहां यह ध्यान रहे कि स्वामी दयानन्द सरस्वती का जो अष्टाध्यायी-भाष्य छपा है, वह उसकी पाण्डुलिपि (रफ कापी) मात्र के आधार पर प्रकाशित हुआ है। ग्रन्थकार उसका पुनः अवलोकन भी नहीं कर पाए थे। अतः रफकापी मात्र के आधार पर छपे प्रथम २५ भाग में यत्र-तत्र भूलें भी विद्यमान हैं। अन्य ग्रन्थ - स्वामी दयानन्द ने अपने दश वर्ष के कार्यकाल (सं० १९३११६४० वि० तक) में लगभग ५० ग्रन्थ रचे हैं। उनमें सत्यार्थप्रकाश, १. ऋषि दयानन्द के पत्र और विज्ञापन, भाग १, पृष्ठ २०१, त० सं० । २. वही, भाग २, पूर्ण संख्या २०७ पृष्ठ २५६, तृ० सं० । ३०
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy