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________________ ५४४ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास ३२. स्वामी दयानन्द सरस्वती (सं० १९८१-१९४० वि०) __ स्वामी दयानन्द सरस्वती ने पाणिनीय सूत्रों की 'अष्टाध्यायोभाष्य' नाम्नी विस्तृत व्याख्या लिखी है। इसके दो खण्ड 'वैदिक पुस्तकालय अजमेर' से प्रकाशित हो चुके हैं । परिचय वंश-स्वामी दयानन्द सरस्वती का जन्म काठियावाड़ के अन्तर्गत टंकारा नगर के औदीच्य ब्राह्मणकुल में हरा था। इनके पिता सामवेदी ब्राह्मण थे । बहुत अनुसन्धान के अनन्तर इनके पिता का नाम कर्शनजी तिवाड़ी ज्ञात हुआ है । स्वामी दयानन्द सरस्वती का १० बाल्यकाल का नाम मूलजी था। सम्भवतः इन्हें मूलशंकर भी कहते थे । मूलजी के पिता शैवमतावलम्बी थे । ये अत्यन्त धर्मनिष्ठ, दढ़चरित्र और धनधान्य से पूर्ण वैभवशाली व्यक्ति थे । ___ भाई बहन-मूलजी के दो कनिष्ठ सौदर्य भाई थे। उन में से एक का नाम बल्लभजी था। उनकी दो बहन थी, जिनमें बड़ो प्रेमाबाई १५ का विवाह मङ्गलजी लोलारावजी के साथ हुआ था । छोटी बहिन की मृत्यु वचपन में मूलजी के सामने हो गई थी। इनके वैमातृक चार भाई थे। उनके वंशज आज भी विद्यमान हैं ।' । प्रारम्भिक अध्ययन और गृहत्याग-मूलजी का पांच वर्ष की अवस्था में विद्यारम्भ, और पाठ वर्ष की अवस्था में उपनयन संस्कार २० हया था। सामवेदी होने पर भी इनके पिता ने शैवमतावलम्बी होने के कारण मूलजी को प्रथम रुद्राध्याय और पश्चात् समग्र यजुर्वेद कण्ठान कराया था। घर में रहते हुए मूलजी ने व्याकरण आदि का भी कुछ अध्ययन किया था। वाल्यकाल में अपने चाचा और छोटी भगिनी की मृत्यु से इनके मन में वैराग्य की भावना उठी, और वह २५ उत्तरोत्तर बढ़ती ही चली गई। इनके पिता ने मूलजी के मन की भावना को समझ कर इनको विवाह बन्धन में बांधने का प्रयत्न किया, परन्तु मूलजी अपने संकल्प में दृढ़ थे। अत विवाह को सम्पूर्ण तैयारी हो जाने पर उन्होंने एक दिन सायंकाल अपने भौतिक संपति १. द्र०-हमारी 'महर्षि दयानन्द सरस्वती का भ्रातृवंश और स्वसवंश' ३.० पुस्तिका।
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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