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________________ अष्टाध्यायी के वृत्तिकार ५४३ ३० गोकुलचन्द्र (१८९७ वि०) गोकुलचन्द्र नाम के वैयाकरण ने अष्टाध्यायी की एक संक्षिप्त वृत्ति लिखी है । इसका एक हस्तलेख उपलब्ध है।' परिचय गोकुलचन्द्र ने वृत्ति के अन्त में अपना जो परिचय दिया है उसके अनुसार इसके पिता का नाम 'बुधसिंह', माता का नाम 'सुशीला', और गुरु का नाम जगन्नाथ था। इसके एक सौदर्य भ्राता का नाम गोपाल था । यह लेखक वेश्य कुल का था।' काल-इसकी रचना का समाप्ति काल संवत् १८९७ माघ १० शुक्ला अष्टमी है। पह वृत्ति अत्यन्त संक्षिप्त सूत्रोदाहरण मात्र है। ३१. ओरम्भट (सं०१६०० वि०) वैद्यनाथभट्ट विश्वरूप अपरनाम ोरम्भट्ट ने 'व्याकरणदीपिका' १५ माम्नी अष्टाध्यायी की वृत्ति बमाई है । इस वृत्ति में वृत्ति, उदाहरण तथा अन्य पंक्तियाँ प्रादि यथासम्भव सिद्धान्तकौमुदो से उद्धृत की हैं। अतः जो व्यक्ति सिद्धान्तकौमुदी की फक्किकाओं को अष्टाध्यायी के क्रम से पढ़ना-पढ़ाना चाहें, उनके लिये यह ग्रन्थ कुछ उपयोगी हो सकता है। २० श्रीरम्भ? काशी-निवासी महाराष्ट्रीय पण्डित है। यह काशी के प्रसिद्ध विद्वान बालशास्त्री के गुरु काशीनाथ शास्त्री का समकालिक है। पं० काशीनाथ शास्त्री ने वि० सं० १९१६ में काशी राजकीय संस्कृत महाविद्यालय से अवकाश ग्रहण किया था। अत. ओरम्भट्ट का काल वि० सं० १६०० के लगभग है। ___ १. हमने इस ग्रन्थ का निर्देश किस पुस्तकालय के संग्रह से लिया, यह संकेत करना भूल गए। __२. बुधसिंहात सुशीलायां लब्धमन्मा विशांवरः । लब्धविद्यो जगन्नाथाच्छीत्रियाद् ब्रह्मनिष्ठतः ॥ लब्ध्वा सहायं सौदर्य श्रीगोपालं व्यदधादिमाम् । वृत्ति पाणिनिसूत्राणाम• गोकुलचन्द्रमाः ॥ सं० १८६७ माघ शुक्ला अष्टमी। ३०
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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