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________________ ५४२ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास अन्य ग्रन्थ-इसके कतिपय अन्य ग्रन्थों के नाम इस प्रकार हैं१. तर्क-कौतूहल ४. आर्यासप्तशती २. अलंकारकौस्तुभ ५. अलङ्कारकुलप्रदीप ३. रुक्मिणीपरिणय ६. रसमजरी-टीका ५ २८. गोपालकृष्ण शास्त्री (सं० १६५०-१७०० वि०) . हमने 'महाभाष्य के टीकाकार' प्रकरण (पृष्ठ ४४४) में गोपाल, कृष्ण शास्त्री विरचित 'शाब्दिकचिन्तामणि' ग्रन्थ का उल्लेख किया है। वहां हम ने लिखा है कि हमें इस ग्रन्थ के 'महाभाष्यव्याख्या' होने । में सन्देह है । यदि यह ग्रन्थ महाभाष्य की व्याख्या न हो, तो निश्चय ही यह अष्टाध्यायी की विस्तृत वृत्तिरूप होगा। २९. रामचन्द्र भट्ट तारे (सं० १७२०-११२५ वि०) नागपुर के 'श्री दत्तात्रेय काशीनाथ तारे' महोदय ने अपने १५ १७-६-१९७६ ई० के पत्र में लिखा है "मैंने मराठी में एक प्रो० भ० दा० साठे लिखित 'संस्कत व्या. करण का इतिहास' पढ़ा। उस में ऐसा लिखा है कि श्री नागेशभट्ट के शिष्य और वैद्यनाथ पाय गूण्डे अहोबल, इन के सहपाठी रामचन्द्र भट्ट तारे थे। उन्होंने 'पाणिनि-सूत्रवृत्ति' लिखी है । यो अप्रसिद्ध है। श्री २० रामचन्द्र भट्ट काशी में रहते थे और आज भी उनका भग्न गृह वहां है। मेरी ऐसी इच्छा है कि वह वृत्ति संपादित करके प्रसिद्ध करना।...... हमें रामचन्द्र भट्ट तारे और उनकी पाणिनि-सूत्रकृति की सूचना श्री दत्तात्रेय काशीनाथ तारे महोदय से मिली, उसके लिये हम उनके २५ ऋणि हैं । हमें इस वृत्ति के विषय में कुछ ज्ञात नहीं हैं ।
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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