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संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास
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अन्य ग्रन्थ-भट्ठोजि दीक्षित ने विभिन्न विषयों पर अनेक ग्रन्थ लिखें हैं।' दीक्षित का एक 'वेदभाष्यसार' नामक ग्रन्थ 'भारतीय. विद्याभवन बम्बई से प्रकाशित हआ है । यह ऋग्वेद के प्रथम अध्याय पर है, और यह सायणीय ऋग्भाष्य का संक्षेप है। दीक्षित लिखित अमरटीका का एक हस्तलेख 'मद्रास राजकीय-हस्तलेख संग्रह' में है। द्र०-सूचोपत्र भाग ४, खण्ड १, B. पृष्ठ ५०७५, संख्या ३४११ ।
शब्दकौस्तुभ के टीकाकार आफेक्ट के बृहत्सूचीपत्र में शब्दकौस्तुभ के प्रथम पाद के छ: टीकाकारों का उल्लेख मिलता है। उनके नाम निम्नलिखित हैं१. नागेश
- विषमपदी २. वैद्यनाथ पायगुण्ड
- प्रभा ३. विद्यानाथ शुक्ल
- उद्योत ४. राघवेन्द्राचार्य
- प्रभा ५. कृष्णमित्र
- भावप्रदीप ६. भास्करदीक्षित
- शब्दकौस्तुभदूषण नागेश और वैद्यनाथ पायगुण्ड के विषय में हम पूर्व लिख चुके
कृष्णमित्र का दूसरा नाम कृष्णाचार्य था। इसके पिता का नाम रामसेवक, और पितामह का नाम देवीदत्त था। रामसेवक कृत 'महाभाष्य-प्रदीपव्याख्या का उल्लेख हम पूर्व कर च के हैं। कृष्णमित्र ने सिद्धान्तकौमुदी की 'रत्नार्णव' नाम्नी टीका लिखी है। इसका वर्णन अगले अध्याय में किया जायगा । कृष्णाचार्यकृत युक्तिरत्नाकर, वादचडामणि और वादसुधाकर नाम के तीन ग्रन्थ जम्मू के रघुनाथ
मन्दिर के पुस्तकालय में विद्यमान हैं । देखो -सूचीपत्र पृष्ठ २५ ४५,४६ ।
शेष टीकाकारों के विषय में हमें कुछ ज्ञान नहीं है।
१. वेदभाष्यसार की अंग्रेजी भूमिका पृष्ठ १, टि०३ में दीक्षित कृत ३४ ग्रन्थों का उल्लेख है। उन में एक 'धातुपाठ-निर्णय' ग्रन्थ भी है ।
२. द्र०—पूर्व पृष्ठ ४६७-४६६ । ३. द्र०-पूर्व पृष्ठ ४६३ ।