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________________ अष्टाध्यायी के वृत्तिकार ५२३ पं० गुरुपद हालदार के अपने व्याकरण दर्शनेर इतिहास में लिखा है___'अष्टाध्यायीर केशववृत्तिकार केशव पण्डित इहार प्रवक्ता । भाषावृत्तिते (०२।११२) पुरुषोत्तमदेव, तन्त्रप्रदीपे (१।२।६; १॥ ४।५५) मैत्रेयरक्षित, एवं हरिनामामृतव्याकरणे (५०० पृष्ठ) श्री ५ जीवगोस्वामी केशवपण्डितेर नामस्मरण करियाछेन' ।' ___ इन उद्धरणों से केशव का अष्टाध्यायी की वृत्ति लिखना सुव्यक्त है। देश-केशव की वृत्ति के जितने उद्धरण उपलब्ध हैं, वे सभी वंगदेशीय ग्रन्थकारों के ग्रन्थों में उपलब्ध होते हैं । अतः सम्भावना यही १० है कि केशव भी वंगदेशीय हो । केशव का काल केशव नाम के अनेक ग्रन्थकार हैं। उनमें से किस केशव ने अष्टाध्यायी की वृत्ति लिखी, यह अज्ञात है। पं० गुरुपद हालदार के लेख से विदित होता है कि यह वैयाकरण केशव मैत्रेयरक्षित से प्राचीन १५ है। मैत्रेयरक्षित का काल सं० ११६५ वि० के लगभग है, यह हम पूर्व लिख चुके हैं । अतः केशव वि० सं० ११६५ से पूर्ववर्ती है, इतना पं० गुरुपद हालदार के उद्धृत वचनानुसार निश्चित है। १८. इन्दुमित्र (सं० ११५० वि० से पूर्व) विट्ठल ने प्रक्रियाकौमुदी की प्रसादनाम्नी टीका में 'इन्दुमित्र' और 'इन्दुमती वृत्ति का बहुधा उल्लेख किया है । इन्दुमित्र ने काशिका की 'अनुन्यास' नाम्नी एक व्याख्या लिखी थी। इसका वर्णन हम अगले 'काशिका वत्ति के व्याख्याकार' नामक १५ वें अध्याय में करेंगे । यद्यपि इन्दुमित्रविरचित अष्टाध्यायीवृत्ति के कोई साक्षात् २५ उद्धरण उपलब्ध नहीं हए, तथापि विट्ठल द्वारा उद्धत उद्धरणों को देखने से प्रतीत होता है कि 'इन्दुमती वृत्ति' अष्टाध्यायी की वृत्ति थी, और इसका रचयिता इन्दुमित्र था । यथा१. देखो-पृष्ठ ४५३ । २. देखो-पूर्व पृष्ठ ४२४। ३. भाग १, पृष्ठ ६१०, ६८६ । भाग २, पृष्ठ १४५ ।
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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