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________________ अष्टाध्यायी के वृत्तिकार काशिका के व्याख्याकार जयादित्य और वामन विरचित काशिकावृत्ति पर अनेक वैयाकरणों ने व्याख्याएं लिखी हैं। उनका वर्णन हम अगले अध्याय में करेंगे । ६५ ५१३ १३. भागवृत्तिकार (सं० ७०२-७०६ वि० ) अष्टाध्यायी की वृत्तियों में काशिका के अनन्तर 'भागवृत्ति' का स्थान है । यह वृत्ति इस समय अनुपलब्ध है । इसके लगभग दो सौ उद्धरण पदमञ्जरी भाषावृत्ति, दुर्घटवृत्ति और अमरटीका सर्वस्व आदि विभिन्न ग्रन्थों में उपलब्ध होते हैं। पुरुषोत्तमदेव की भाषा- १० वृत्ति के अन्तिम श्लोक से ज्ञात होता है कि यह वृत्ति काशिका के समान प्रामाणिक मानी जाती थी।' बड़ोदा से प्रकाशित कवीन्द्राचार्य' के सूचीपत्र में 'भागवृत्ति' का नाम मिलता है । भट्टोजि दीक्षित ने शब्दकौस्तुभ और सिद्धान्तकौमुदी में भागवृत्ति के अनेक उद्धरण दिये हैं। इससे प्रतीत होता हैं कि १५ विक्रम की १६ वीं १७ वीं शताब्दी तक भागवृत्ति के हस्तलेख सुप्राप्य थे । भागवृत्ति का रचयिता 'भागवृत्ति' के व्याख्याता 'सृष्टिधर चक्रवर्ती' ने लिखा है १. काशिकाभागवृत्त्योश्चत् सिद्धान्तं बोद्धुमस्ति धीः । तदा विचिन्त्यतां भ्रातर्भाषावृत्तिरियं मम ॥ ३. देखो – पृष्ठ ३ । ४. सिद्धान्त कौमुदी पृष्ठ ३६६, काशी चौखम्बा, मूल संस्करण । २० २. कवीन्द्राचार्य काशी का रहनेवाला था। इसकी जन्मभूमि गोदावरी तट का कोई ग्राम था । यह परम्परागत ॠग्वेदी ब्राह्मण था । इसने वेदवेदाङ्गों का सम्यग् अभ्यास करके संन्यास ग्रहण किया था । इसने काशी और प्रयाग को मुसलमानों के जजिया कर से मुक्त कराया था । देखो - कवीन्द्राचार्य विरचित 'कवीन्द्रकल्पद्रुम,' इण्डिया अफिस लन्दन का सूचीपत्र, पृष्ठ ३६४७ । कन्द्राचार्य का समय लगभग वि० सं० १६५०-१७५० तक है । २५
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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