SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 529
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५ १५ २० संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास विवेचना - श्री नाथूराम प्रेमी ने अपने 'जैन साहित्य प्रोर इतिहास' के द्वितीय संस्करण में पृष्ठ ४४ पर पूज्यपाद और राजा दुर्विनीत के गुरुशिष्य भाव का खण्डन कर दिया है । प्रायः सभी वैयाकरणों ने एक विशेष नियम का विधान किया है, १० जिसके अनुसार 'ऐसी कोई घटना जो लोकविश्रुत हो, प्रयोक्ता ने उसे साक्षात् न देखा हो, परन्तु प्रयोक्ता के दर्शन का विषय सम्भव हो, अर्थात् प्रयोक्ता के जीवनकाल में घटी हो, तो उसको कहने के लिए भूतकाल में लङ् प्रत्यय होता है' २५ ૪૨૨ नया प्रमाण - 'भारतीय ज्ञानपीठ काशी' से प्रकाशित जैनेन्द्र व्याकरण के प्रारम्भ में 'जैनेन्द्र शब्दानुशासन तथा उसके खिलपाठ' प्रकरण ( पृष्ठ ४२ ) में आचार्य पूज्यपाद के काल के निश्चय के लिए नया प्रमाण उपस्थित किया था । उसे ही संक्षेप से यहां उपस्थित करते हैं - 'परोक्षे च लोकविज्ञाते प्रयोक्तुर्दर्शनविषये । " इस नियम के निम्न उदाहरण व्याकरण-ग्रन्थों में मिलते हैंअरुणद् यवनः साकेतम्, अरुणद् यवनो माध्यमिकाम् । महा० ३ । २।११ ॥ 1 श्रजयज्जत हूणान् । चान्द्र १ । २ । ८१ ।। श्ररुणन्महेन्द्रो मथुराम् | जैनेन्द्र' २ । २ । ९२ ।। श्रदहदमोघवर्षोऽरातीन् । शाक० ४ । ३ । २०८ ।। श्ररुणत्ं सिद्धवर्षोऽवन्तीम् । हैम ५ । २ । ८ ।। इनमें अन्तिम दो उदाहरण सर्वथा स्पष्ट हैं । श्राचार्य पाल्यकीर्ति [शाकटायन] अमोघवर्ष, और प्राचार्य हेमचन्द्र सिद्धराज के काल में विद्यमान थे, इसमें किसी को विप्रतिपत्ति नहीं । परन्तु जर्त १. कात्यायन वार्तिक । महा० ३ । २ । ११ ॥ २. पाश्चात्त्य मतानुयायियों ने 'जर्तः' के स्थान पर 'गुप्त' पाठ घड़ लिया है । द्र०- - पूर्व पृष्ठ ३६६, ३७० तथा पृष्ठ ३७० टि० १ । ३. यद्यपि यह तथा इसके पूर्व उदाहरण क्रमशः धर्मदास और अभयनन्दी की वृत्तियों से लिये हैं, परन्तु इन वृत्तिकारों ने ये उदाहरण चन्द्र और पूज्यपाद की स्वोपज्ञ वृत्ति से लिए हैं । ३०
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy