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संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास
कि यह ग्रन्थ पद =महाभाष्य के अनन्तर रचा गया था और उस में सम्भवतः महाभाष्य से अवशिष्ट विषयों पर विचार किया गया होगा । यथा-पुरुषोत्तमदेवविरचित त्रिकाण्ड शेष अमरकोश का
शेष है.। . .
. in ETERरण अभी तक कोशिकावृत्ति
५.
पदशेषकार का सब से पुराना उद्धरण अभा तक काशिकावृत्त में मिला है। तदनुसार यह ग्रन्थ विक्रम की ७ वीं शताब्दी से पूर्ववर्ती है, केवल इतना ही कहा जा सकता है । ग्रन्थकार का नाम अज्ञात
___ हम पूर्व पृष्ठ ३६० पर लिख आए हैं कि 'अनुपदकार' और १० पदशेषकार दोनों एक ही हैं अथवा भिन्न व्यक्ति है, यह विचारणीय
है । यतः दोनों पदों के अर्थों में भिन्नता है, अतः इन्हें भिन्न-भिन्न व्यक्ति मानना ही युक्त है । अब हम अगले अध्याय में. अष्टाध्यायी, के वत्तिकारों का वर्णन करेंगे ।