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४६४ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास के बृहत् सूचीपत्र भाग २, पृष्ठ ६५ पर मिलता है। इसका एक हस्तलेख 'मद्रास के राजकीय पुस्तकालय' में विद्यमान है। देखोसूचीपत्र भाग १, खण्ड १ A, पृष्ठ ५७, ग्रन्थाङ्क: । इस नारायणीय प्रदीपव्याख्या के प्रारम्भ के दो अध्याय पाण्डिचेरि से मुद्रयमाण 'महाभाष्यप्रदीपव्याख्यानानि' के १-५ भागों में छप गये हैं।
वंश-नारायण शास्त्री के माता-पिता का नाम अजात है। इसकी एक कन्या थी, उसका विवाह नल्ला दोक्षित के पुत्र नारायण दीक्षित के साथ हुआ था। इसका पुत्र रङ्गनाथ यज्वा था। इसने हरदत्त-विरचित 'पदमञ्जरी' की व्याख्या रची थो।
गुरु-नारायण शास्त्री कृत 'प्रदीपव्याख्या' का जो हस्तलेख 'मद्रास के राजकीय पुस्तकालय' में विद्यमान है, उसके प्रथमाध्याय के प्रथम पाद के अन्त में निम्न लेख है
'इति श्रीमहामहोपाध्यायधर्मराजयज्वशिष्यशास्त्रिनारायणकृतौ कैयटव्याख्यायां प्रथमाध्याये प्रथमे पादे प्रथमाह्निकम् ।' १५ यह धर्मराज यज्वा कौण्डिन्य गोत्रज नल्ला दीक्षित का भाई और
नारायण दीक्षित का पुत्र है। यज्वा वा दीक्षित वंश के अनेक व्यक्तियों ने व्याकरण के कई ग्रन्थ लिखे हैं । अतः इस वंश के कई व्यक्तियों का उल्लेख इस इतिहास में होगा। अतः हम अनेक ग्रन्थों
के आधार पर इस वंश का चित्र नीचे देते हैं। वह उनके काल-ज्ञान २० में सहायक होगा
त्रिवेदी नारायण दीक्षित
नारायण शास्त्री नल्ला दीक्षित
धर्मराज यज्वा
कन्या + नारायण दीक्षित यज्ञराम दीक्षित चोक्का दीक्षित'
रंगनाथ यज्वा । कन्या
रामभद्र मखी+कन्या
. वामनाचार्य
वैद्यनाथ
वामनाचार्य
वैद्यनाथ
वरदराज
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