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संस्कृत भाषा की यवृत्ति, विकास और ह्रास 'पितरः' पद है। उसी प्रकार सितारा, स्टार और स्टेयों का मूल 'स्तृ' शब्द का प्रथमा का बहुवचन 'स्तारः' पद है।
३. बहिन के लिये फारसी में 'हमशीरा' शब्द प्रयुक्त होता है, और अंग्रेजी में 'सिस्टर' । संस्कृत में इन दोनों के मूल दो पृथक् शब्द हैं—'हमशीरा' का मूल ‘समक्षीरा' है । संस्कृत के सकार को फारसी ५ में हकार होता है। यथा-सप्त=हफ्त, सप्ताह हफ्ताह । क्ष के
आदि ककार का लोप हो गया, और षकार को शकार । इसी प्रकार 'सिस्टर' का सम्बन्ध ‘स्वसृ' पद से है ___४. ऊंट को फारसी में 'शुतर' कहते हैं, और अंग्रेजी में कैमल' । स्पष्ट ही इन दोनों के मूल पृथक्-पृथक् हैं। संस्कृत में ऊंट को उष्ट्र, १०
और क्रमेल' दोनों कहते हैं । उष्ट्र के उ और ष का विपर्यास होकर शुतर शब्द बनता है। इसी प्रकार कैमल का सम्बन्ध क्रमेल शब्द से है। वर्तमान मिश्री भाषा के 'गमल' और कुरानी अरबी के 'जमल' शब्द का सम्बन्ध भी संस्कृत के 'क्रमेल' शब्द के साथ ही है।
इस प्रकार वेद के आधार पर अति विस्तार को प्राप्त हुई संस्कृत- १५ भाषा, मनुष्यों के विस्तार के साथ-साथ देश काल और परिस्थितियों के विपर्यास तथा पार्यों के मूल-प्रदेश केन्द्र से दूरता की वृद्धि होने से, शनैः शनैः विपरिणाम को प्राप्त होने लगी। संसार में ज्यों-ज्यों म्लेच्छता (=उच्चारणाशुद्धि) की वृद्धि होती गई, त्यों-त्यों संस्कृतभाषा का प्रयोग-क्षेत्र संकुचित होता गया। उसी के साथ-साथ देश- २० देशान्तरों में व्यवस्थित संस्कृत-भाषा के शब्दों का लोप होता
१. मोनियर विलियम्स ने अपने संस्कृत कोश में संस्कृत 'क्रमेल' शब्द को यूनान से उधार लिया माना है। वह सर्वथा गप्प है। भाषा-विज्ञान के सिद्धान्तानुसार उत्तरोत्तर अपभ्रंश भाषाओं में उपर नीचे के रेफ की निवृत्ति ही होती है, नए रेफ का संयोग नहीं होता । यदि कमेल शब्द कैमल-गमल-
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५ जमल से अथवा इसकी किसी रेफ-रहित प्रकृति से निष्पन्न होता, तो उस में । रेफ का संयोग न होता । अतः क्रमेल की मूल धातु 'क्रमु पादविक्षेपे' ही है ।
२. अन्तिम तीन उदाहरण पं० राजाराम विरचित 'स्वाध्याय-कुसुमाजलि' से लिये.हैं। ३. भाषाविज्ञान, डा० मङ्गलदेव, पृष्ठ २५६ । ४. देखो, पृष्ठ ११ की टिप्पणी २ पर महाभाष्य का तुलनात्मक पाठ ।