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________________ महाभाष्यप्रदीप के व्याख्याकार ४५५ पितामहस्तु यस्येदं मन्त्रभाष्यं चकार च । श्रीकृष्णाभ्युदयं काव्यमनुवादं गुरोर्मते ॥ यत्पित्रा तु कृता टीका मण्यालोकस्य धीमता। तथा तत्त्वविवेकस्य कैयटस्यापि टिप्पणी ॥' देखो-'मद्रास राजकीय हस्तलेख पुस्तकालय' का सूचीपत्र भाग ५ २, खण्ड १ C, पृष्ठ २३६२, ग्रन्थाङ्क १६६४ । मल्लय यज्वा के पुत्र तिरुमल यज्वा ने महाभाष्य की व्याख्या लिखी थी। इसका वर्णन हम पिछले अध्याय में पृष्ठ ४४३ पर कर चुके हैं । यदि हमारा अनुमान कि यह 'तिरुमल यज्वा अन्नम्भट्ट का का पिता है' युक्त हो तो मल्लय यज्वा का काल सं० १५२५ वि० के १० लगभग होगा। ३. रामचन्द्र सरस्वती (सं० १५२५-१६०० वि०) रामचन्द्र सरस्वती ने महाभाष्य पर 'विवरण' नाम्नी लघु व्याख्या लिखी हैं । यद्यपि हस्तलेखों की अन्तिम पडिक्तयों में केवल १५ विवरण नाम का ही उल्लेख मिलता है, तथापि ईश्वरानन्द सरस्वती विरचित 'विवरण' की अपेक्षा इस विवरण के लघुकाय होने से इसके उद्धर्ता दोनों विवरणों में भेद दर्शाने के लिए लघुविवरण शब्द का और ईश्वरानन्द सरस्वती विरचित विवरण के बृहत्काय होने से बृहद्विवरण शब्द का प्रयोग करते हैं । हम भी इस प्रकरण में दोनों २० विवरणों में भेद दर्शाने के लिए लघु और बृहद शब्द का प्रयोग करेंगे। __इस विवरण का एक हस्तलेख मद्रास राजकीय हस्तलेख पुस्तकालय के सूचीपत्र भाग ४, खण्ड १C, पृष्ठ ५७३१, ग्रन्थाङ्क ३८६७ पर निर्दिष्ट है । दूसरा हस्तलेख मैसूर राजकीय पुस्तकालय के सूची- २५ पत्र, पृष्ठ ३१९ पर उल्लिखित है। रामचन्द्र सरस्वती विरचित लघुविवरण 'महाभाष्यप्रदीपव्याख्या१. कयटलघुविवरणकाकारोऽप्येवम् । बृहविवरणकारस्तु.....। शब्दकौस्तुभम्, 'अचः परस्मिन्' १।११५७ सूत्र, पृष्ठ २६०
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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