SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 491
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४५४ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास इति श्रीमद्गणेशांघ्रिस्मरणादाप्तसन्मतिः । गूढं प्रकाशयच्चिन्तामणिश्चतुर्थ प्राह्निके ॥ चिन्तामणि नाम के अनेक विद्वान् हो चुके हैं । अतः यह ग्रन्थ किस चिन्तामणि का रचा है, यह अज्ञात है। एक चिन्तामणि शेष ५ नृसिंह का पुत्र और प्रसिद्ध वैयाकरण शेष कृष्ण का सहोदर भ्राता है। शेष कृष्ण का वंश व्याकरणशास्त्र की प्रवीणता के लिए अत्यन्त प्रसिद्ध रहा है। शेषवंश के अनेक व्यक्तियों ने महाभाष्य तथा महाभाष्यप्रदीप पर व्याख्यायें लिखी हैं। प्रता सम्भव है कि इस टीका का रचयिता चिन्तामणि शेष कृष्ण का सहोदर शेष चिन्तामणि हो। यदि हमारा अनुमान ठोक हो तो इस का काल संवत् १५००-१५५० के मध्य होना चाहिए। क्योंकि शेष कृष्ण के पुत्र रामेश्वर अपरनाम वीरेश्वर से प्रक्रियाकोमुदो के टोकाकार विट्ठल ने व्याकरणशास्त्र का अध्ययन किया था। विठ्ठल कृत प्रक्रियाकौमुदी की 'प्रसाद' टीका का सं० १५३६ का लिखा एक हस्तलेख इण्डिया माफिस लन्दन के १५ संग्रहालय में विद्यमान हैं । उस के अन्त का लेख इस प्रकार है सं० १५३६ वर्षे माघवदि एकादशी रवौ श्रीमदानन्दपुर स्थानोत्तमे प्राभ्यन्तर नगर जातीय पण्डित अनन्तसुत पण्डितनारायणादीनां पठनार्थ कुठारी व्यवगहितसुतेन विश्व रूपेण लिखितम् ।' ___ यह तो प्रतिलिपि है। विट्ठल ने प्रक्रियाकौमुदी की रचना सं० २० १५३६ से पूर्व की होगी। २. मल्लय यज्वा (सं० १५२५१ वि० के लगभग) ; मल्लय यज्वा ने कयटविरचित महाभाष्यप्रदीप पर एक टिप्पणी लिखी थी। इस की सूचना मल्लय यज्वा के पुत्र तिरुमल यज्वा ने २५ अपनी दर्शपौर्णमासमन्त्रभाष्य' के प्रारम्भ में दी है। उसका लेख इस प्रकार है___चतुर्दशसु विद्यासु वल्लभं पितरं गुरुम् । वन्दे कूष्माण्डदातारं मल्लययज्वानमन्वहम् ।। १. इण्डिया आफिस लन्दन के पुस्तकालय का सूचीपत्र,भाग २, पृष्ठ ३० १६७, ग्रन्थाङ्क ६१६ ।
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy